Punjab News: पंजाब के जालंधर लोकसभा उपचुनाव में आम आदमी पार्टी की जीत के कई मायने हैं. आम आदमी पार्टी ने एक बड़ा खेल खेला है. कांग्रेस का गढ़ मानी जाने वाली जालंधर लोकसभा सीट पर उसी के नेताओं को आप ने चारों खाने चित करवा दिया है. कांग्रेस की तरफ से विधायक रहे सुशील रिंकू महज 34 दिन पहले आम आदमी पार्टी में शामिल हुए थे. AAP में एंट्री के साथ ही सुशील रिंकू को आप ने चुनाव मैदान में उतार दिया मानों उनकी एंट्री पार्टी से चुनाव लड़ने के लिए ही हुई हो. 


केजरीवाल के ये 2 वार पड़े भारी


आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने चुनाव प्रचार के अंतिम पड़ाव में जालंधर में ही डेरा ड़ाले रखा. 2 दिन तक वो जांलधर की जनता से रोड शो और जनसभाओं के माध्यम से वोट मांगने में जुटे रहे. केजरीवाल ने कहा आपके काम हमने करने है. सांसद आप का ही बनाएं. दूसरा केजरीवाल ने कहा कि कांग्रेस इतनी अंहकारी हो गई है कि कोई बड़ा नेता चुनाव प्रचार के लिए भी नहीं आया. केजरीवाल के ये 2 प्रहार कांग्रेस की हार और आप का जीत का बड़ा कारण बने. 


AAP की जीत के मायने समझें


जालंधर लोकसभा सीट पर कांग्रेस जहां अपना गढ़ गवां बैठी है. वहीं बीजेपी को कैप्टन अमरिंदर सिंह, सुनील जाखंड जैसे कई बड़े नेताओं को अपने साथ जोड़कर भी कोई फायदा नहीं हुआ. वहीं अकाली दल बसपा से गठबंधन के बाद भी दलित वोटरों पर अपनी पकड़ नहीं बना पाया. बीजेपी और अकाली दल इस बार अलग-अलग लड़े इसका नुकसान भी उन्हें उठाना पड़ा और आप के लिए यहीं फायदेमंद रहा. जालंधर जीत से ये जरूर साफ हो गया है कि 2024 में लोकसभा की 13 सीटों पर जीतना किसी भी पार्टी के लिए आसान नहीं होगा. 


आपसी फूट बनी के कारण हारी कांग्रेस


जालंधर लोकसभा सीट पर 24 साल से डटी कांग्रेस का ना सिर्फ वोट परसेंटेज यहां कम हुआ है. बल्कि बीजेपी और अकाली दल ने उसके वोट भी काटे है. कांग्रेस के नेताओं की आपसी फूड भी उनकी हार का बड़ा कारण बनी. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वडिंग, नवजोत सिंह सिद्धू, सुखपाल सिंह खैरा सब इस चुनाव में अलग-अलग नजर आए. चन्नी फैक्टर भी कोई काम नहीं कर पाया.  


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