Chandigarh News: 1962 युद्ध में विधवा हुई महिला को 56 साल बाद मिला न्याय, कोर्ट ने केंद्र से ब्याज सहित पेंशन देने को कहा
Punjab and Haryana High Court: विधवा महिला ने इस असाधारण पारिवारिक पेंशन के लिए कानूनी लड़ाई 60 साल पहले (1962) में शुरु की थी. लेकिन शहीद पति की मृत्यु के चार साल बाद ही पेंशन बंद कर दी गई थी
CRPF: 1962 के भारत-चीन युद्ध में पति की मौत के बाद शहीद की विधवा ने 56 साल के बाद पेंशन के लिए कानूनी लड़ाई जीत ली है. विधवा महिला ने इस असाधारण पारिवारिक पेंशन के लिए कानूनी लड़ाई 60 साल पहले (1962) में शुरु की थी. लेकिन शहीद पति की मृत्यु के चार साल बाद ही पेंशन बंद कर दी गई थी, आखिरकार अब पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने युद्ध की विभीषिका में विधवा हुई महिला के लिए केंद्र सरकार से भुगतान करने का आदेश दिया है. हाई कोर्ट ने 1966 से पेंशन की जो राशि बन रही है, इसके साथ 6 प्रतिशत प्रति वर्ष के ब्याज दर से जोड़ कर विधवा को देने को कहा है.
न्यायमूर्ति हरसिमरन सिंह सेठी की पीठ ने धर्मो देवी की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया. धर्मो देवी के पति प्रताप सिंह 9वीं बटालियन, सीआरपीएफ के जवान थे, जो 1962 के युद्ध में शहीद हो गए थे.
1966 में बिना किसी वैध कारण के पेंशन बंद कर दी
धर्मो देवी के वकील, आर.ए श्योराण ने तर्क दिया था कि उनके पति की मृत्यु के बाद, उन्हें केंद्र सरकार की तरफ से 'असाधारण पारिवारिक पेंशन' दी गई थी. लेकिन केंद्र सरकार और संबंधित अधिकारियों ने 3 अगस्त, 1966 से बिना किसी वैध कारण के पेंशन को बंद कर दिया था. असाधारण पारिवारिक पेंशन उन सरकारी कर्मचारियों या उनके परिवार को दिया जाता है जो सरकारी सेवा के दौरान विकलांग हो जाते हैं या उनकी मृत्यु हो जाती है.
पिछली सुनवाई के दौरान पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने केंद्र सराकर और सीआरपीएफ को नोटिस जारी किया था. सीआरपीएफ और केंद्र की ओर से अदालत में दाखिल जवाब में कहा गया कि धर्मो देवी को दी गई असाधारण पेंशन को गलत तरीके से बंद किया गया था.
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पेंशन की बकाया राशि जल्द दी जाएगी- सीआरपीएफ
कोर्ट में केंद्र सराकर और सीआरपीएफ ने बताया कि "3 अगस्त, 1966 से शुरू होने वाली पेंशन लाभ, धर्मो देवी को दुबारा 15 मार्च, 2022 में दिए एक आदेश के माध्यम से दिया जा रहा है. साथ ही सामान्य पेंशन के बकाया राशि को जोड़कर 2020 में धर्मो देवी को पूरा भुगतान किया गया. असाधारण पारिवारिक पेंशन की बकाया राशि की गणना की जा रही है और उसका जल्द भुगतान किया जाएगा."
पेंशन वापस लेने में कोई दुर्भावना नहीं
इस बीच, याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट में तर्क दिया कि धर्मो देवी को 56 वर्षों के लिए उनके वैध लाभ से वंचित कर दिया गया था और इस तरह वह असाधारण पारिवारिक पेंशन के बकाया पर ब्याज की हकदार हैं. हालांकि, सीआरपीएफ और केंद्र सराकर ने इसका विरोध करते हुए कहा कि धर्मो देवी की असाधारण पेंशन को वापस लेने में कोई दुर्भावना नहीं थी और यह गलतफहमी की वजह से हुआ था.
आदेश पारित करते हुए, न्यायमूर्ति हरसिमरन सिंह सेठी ने कहा, "यह साफ है कि याचिकाकर्ता की किसी भी समय गलती नहीं थी. बल्कि एक युद्ध विधवा के साथ परिवार पेंशन को देने में उत्तरदाताओं (केंद्र- साआरपीएफ) द्वारा गलत व्यवहार किया गया है. यह विवादित नहीं है कि उस दिन भी जब असाधारण पारिवारिक पेंशन वापस ले ली गई थी, याचिकाकर्ता की पात्रता उसी के अनुदान के लिए बनी रही. उसे मुआवजा दिया जाना चाहिए."
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