Rajasthan ByPoll 2021 Results: उपचुनाव में बीजेपी को लगा बड़ा झटका, इन दो सीटों पर मिली करारी हार
Rajasthan By-Poll 2021 Results: राजस्थान की दो विधानसभा सीटों धरियावाद और वल्लभ नगर पर हुए उपचुनाव में बीजेपी को करारी हार का सामना करना पड़ा है.
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Rajasthan By-Poll 2021 Results: साल 2023 के आखिर में होने वाले राजस्थान विधानसभा चुनाव के जरिये प्रदेश की सत्ता में वापसी के मंसूबे पाल रही बीजेपी (BJP) को राज्य की दो विधानसभा सीटों धरियावाद और वल्लभ नगर में करारी हार का सामना करना पड़ा है. वल्लभ नगर कांग्रेस के पास पहले से थी जबकि धरियावाद को बीजेपी से छीना है. सबसे खास बात ये रही कि बीजेपी इन दोनों जगह कांग्रेस का मुकाबला ही नहीं कर पाई और दोनों जगह उसके उम्मीदवार तीसरे और चौथे स्थान पर संघर्ष करते नज़र आये.
वल्लभ नगर में कांग्रेस की प्रीति शक्तावत को जीत मिली, जबकि धरियावाद में जीत का सेहरा कांग्रेस के नगराज के सिर पर सजा. राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार की सेहत पर इन दोनों जीत का सीधा असर भले ना पड़ा हो लेकिन कांग्रेस की इस जीत का राज्य की सियासत पर गहरा असर पड़ेगा. इन दोनों सीटों के चुनावी नतीजों से सी एम अशोक गहलोत को दोहरा फायदा हुआ है. पहला ये कि इन दो जीत से गहलोत का सियासी कद और ज़्यादा बढ़ गया है और दूसरा ये कि इन जीत से गहलोत ने पायलट कैम्प समेत अपने तमाम विरोधियों की बोलती बंद कर दी है. यहां ये जानना भी बेहद जरुरी है कि वल्लभ नगर सीट कांग्रेस के गजेंद्र सिंह शक्तावत के निधन से खाली हुई थी और गजेंद्र सिंह शक्तावत सचिन पायलट के बेहद करीबी समर्थक थे. साल 2020 में जुलाई के महीने में जब गहलोत के खिलाफ सचिन पायलट कैम्प ने बगावत की थी तब गजेंद्र सिंह शक्तावत पूरे समय पायलट के साथ मानेसर में थे. लेकिन उनकी अचानक मृत्यु के बाद जब कांग्रेस ने वल्लभनगर के लिए उम्मीदवार तलाशना शुरु किया तो सबसे पहले सी एम् अशोक गहलोत ने ही गजेंद्र की पत्नी प्रीति शक्तावत को टिकट देने की पैरवी की थी. हालांकि तब शक्तावत के परिवार में टिकट के कई दावेदार थे लेकिन गहलोत ने प्रीति शक्तावत को ही उम्मीदवार बनवाया. अब प्रीति की जीत से गहलोत ने पायलट कैम्प की ताकत को भी कम कर दिया है.
गहलोत ने इन दोनों सीटों पर उतारे अपने उम्मीदवार
इन दोनों सीटों के उप चुनाव को गहलोत ने अपनी प्रतिष्ठा का सवाल बना दिया था इसीलिए इन दोनों जगह उन्होंने अपने ख़ास नेताओं की फौज को कई सप्ताह पहले ही चुनावी कमान संभालने के लिए तैनात कर दिया था. मंत्री प्रताप सिंह, प्रमोद जैन भाया और पूर्व सांसद रघुवीर मीणा बीते कई सप्ताह से इन दोनों जगह जमे रहकर चुनावी प्रबंधन कर रहे थे. वैसे इन उपचुनाव के नतीजे से बीजेपी को तगड़ा झटका तो लगा ही है साथ ही बीजेपी की घर की लड़ाई भी खुलकर सामने आ गई है. नेताओं के बीच आपसी खींचतान के अलावा प्रत्याशी चुनाव में भी बीजेपी ने गलत फैसले लिए. वल्ल्भ नगर में रणधीर सिंह भींडर बीजेपी का टिकट मांग रहे थे लेकिन वसुंधरा राजे के नज़दीकी बताकर बीजेपी नेता गुलाब चंद कटारिया और अन्य नेताओं ने रणधीर सिंह को टिकट नहीं लेने दिया और हिम्मत सिंह झाला को बीजेपी ने अपना प्रत्याशी बनाया. झाला चुनाव में चौथे नंबर पर रहे जबकि राष्ट्रीय लोक तांत्रिक पार्टी और रणधीर सिंह भींडर ने दूसरा और तीसरा स्थान हासिल किया. बीजेपी अगर भींडर को अपना टिकट दे देती तो ये सीट बीजेपी के खाते में आ सकती थी.
कांग्रेस ने बीजेपी से छीनी धरियावाद सीट
वल्ल्भ नगर सीट पर तो कांग्रेस ने अपना कब्ज़ा कायम रखा लेकिन प्रतापगढ़ जिले की धरियावाद सीट उसने बीजेपी से छीनी है. ये सीट बीजेपी के गौतम लाल मीणा के निधन से खाली हुई थी और गौतम लाल के बेटे कन्हैया लाल पार्टी के टिकट के प्रबल दावेदार थे. लेकिन यहां भी बीजेपी की भीतरी कलह जारी रही और नतीजा कन्हैया लाल का टिकट काटकर खेत सिंह को बीजेपी प्रत्याशी बनाया गया. चुनावी नतीजे से साफ़ हो गया कि लोगो को खेत सिंह का बीजेपी प्रत्याशी बनाया जाना पसंद नहीं आया और इसीलिए वो इस चुनावी लड़ाई में तीसरे नंबर पर रहे. निर्दलीय थावर चंद दूसरे स्थान पर रहे. इन दो उपचुनावों में बीजेपी को जो करारी हार मिली है वैसी हार का स्वाद बीजेपी ने पिछले एक दशक में शायद ही चखा हो. सबसे ख़ास बात ये भी रही कि पूर्व सी एम् वसुंधरा राजे अपनी पुत्रवधु की बीमारी की वजह से इन दोनों उप चुनावों से बिलकुल दूर रही. ये दोनों सीटें राजस्थान के मेवाड़ इलाके में है जिसे बीजेपी का गढ़ माना जाता है. यहां की कुल 28 में से 14 सीटें बीजेपी ने साल 2018 में जीती थी लेकिन इस बार सीएम अशोक गहलोत ने बीजेपी को उसके गढ़ में घुसकर मात दी है.
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