Rajasthan Politics: राजस्थान विधानसभा चुनाव को करीब 6 माह रह गए हैं. हर जगह चेहरों पर दावा आजमाने की कोशिश चल रही है. क्षेत्र के प्रमुख चेहरों को विधायक उम्मीदवार के लिए भी देखा जा रहा है, लेकिन राजस्थान के लिए प्रमुख मानी जाने वाले मेवाड़ की प्रमुख सीट उदयपुर में ना तो बीजेपी के पास कोई चेहरा है और ना ही कांग्रेस के पास.


दरअसल, बीजेपी में असम के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया के जाने के बाद बीजेपी मेवाड़ ने खाली हो गई है. वहीं कांग्रेस के पास पहले से ही उदयपुर सीट के लिए कोई प्रमुख चेहरा नहीं था. ऐसे में प्रमुख नेताओं का यहां डेरा लगा हुआ है. सीएम अशोक गहलोत लगातार उदयपुर के दौरे कर रहे हैं और वहीं बीजेपी के भी प्रदेश स्तर के नेता यहां आ रहे हैं. बता दें कि असम के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया अभी 6 दिन के दौरे पर आए हुए हैं. 


दोनों पार्टियों में 'गुटबाजी'
अभी की स्थिति देखे तो उदयपुर में बीजेपी और कांग्रेस, दोनों पार्रियों में अंदर ही अंदर गुटबाजी चल रही है. बीजेपी की तो हाल ही सांसद अर्जुन लाल मीणा ने असम के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया के सामने बयां की थी. सांसद मीणा ने यह तक कह दिया था कि ऐसा ही चलता रहा तो पार्टी का उदयपुर में जीतना मुश्किल है.


वहीं कांग्रेस की बात करे तो यहां मुस्लिम समुदाय नाराज है. नाराजगी पूर्व केंद्रीय मंत्री गिरिज व्यास के आवास पर प्रदर्शन कर बयां भी कर दी है. ऐस में दोनों ही पार्टियों की स्थिति उदयपुर में नाजुक हालत से गुजर रही है. राजनीति के जानकार बताते हैं किह बीजेपी कई वर्षों से यहां मजबूत स्थिति में है. कांग्रेस को यहां ज्यादा दम झोंकने की जरूरत है.


'चेहरा नहीं लेकिन पार्टी के कार्यकर्ता दम झोंक रहे है'


बीजेपी जिलाध्यक्ष रविन्द्र श्रीमाली ने बताया कि उदयपुर गुलाब चंद कटारिया चले गए हैं, उनकी कमी तो पूरी कोई नहीं कर सकता लेकिन फिर भी लगातार चुनाव की तैयारियां चल रही है. यह सही है कि चेहरा नहीं है, लेकिन वह तो पार्टी तय करेगी. चुनाव की बात करे तो सभी मंडलों के अध्यक्ष और कार्यकर्ता अपने-अपने क्षेत्र में डटे हुए हैं. अपना पूरा दम लगा रहे हैं. यहीं नहीं हर हफ्ते पार्टी की बैठक चल रही है. पार्टी से जो निर्देश मिल रहे हैं उन्ही अनुसार हम कार्यकर्ता काम कर रहे हैं. 


कांग्रेस के पास जिलाध्यक्ष तक नहीं


कांग्रेस पार्टी के पास तो उनका जिलाध्यक्ष तक नहीं है. अभी निवर्तमान जिलाध्यक्ष गोपाल शर्मा ही कामन संभाले हुए हैं. उनसे बात करने की कोशिश की लेकिन नहीं हो पाई लेकिन वह पहले कह चुके हैं कि राज्य सरकार की जो योजनाएं हैं उन्हीं को लोगों तक पहुंचाया जा रहा है. विधायक उम्मीदवार तो पार्टी ही तय करेगी लेकिन कार्यकर्ता लगातार नीचे स्तर तक काम कर रहे हैं.


ये भी पढ़ें


Rajasthan Politics: केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत का गहलोत सरकार पर बड़ा हमला, लगाया ये बड़ा आरोप