Rajasthan News: राजस्थान के कोटा में आज एक राजनीतिक हाइप्रोफाइल ड्रामा देखने को मिला. जहां हाथ में पेट्रोल की बोतल लेकर बीजेपी के चार पार्षद सहित सात लोग पानी की टंकी पर चढ गए और आयुक्त को हटाने और गुम हुई फाइलों के जिम्मेदारों पर कार्रवाई की मांग करने लगे. मजे की बात यह है कि यहां बोर्ड भी बीजेपी का है और मांग करने वाले भी बीजेपी के ही हैं. ऐसे में अपनी ही पार्टी के पदाधिकारियों के प्रति विरोध करना पड़ रहा है.
पट्टे नहीं बनाए जाने का किया गया विरोध
यह पॉलिटिकल ड्रामा करीब डेढ से दो घंटे चलता रहा. एसडीएम संतोष मीणा, डीएससी मुकुल, आयुक्त अशोक शर्मा, सभापति संजय शुक्ला और बीजेपी के पूर्व जिलाध्यक्ष संजय जैन मौके पर पहुंचे और प्रदर्शनकारियों को समझाने का प्रयास किया. आयुक्त ने कहा कि उन्होंने प्रशासन शहरों के संग अभियान के तहत पट्टे बनाने की कार्रवाई की है. 273 पट्टे जारी हो रहे हैं. इसके बाद बीजेपी के पूर्व जिलाध्यक्ष जैन के समझाने पर सभी नीचे उतरे. इसके बाद पार्षद एसडीएम के सामने पट्टे नहीं बनने का विरोध जताने लगे तो एसडीएम ने सभी को नगरपरिषद कार्यालय बुलाया और सभी से बात कर समस्या का समाधान करने का आश्वासन दिया.
पट्टे की नई फाइलों को नहीं किया जा रहा जमा
बीजेपी पार्षद सहित पानी की टंकी पर चढे लोगों को समझाकर नीचे तो उतार लिया गया लेकिन उनकी छोटी मोटी समस्याओं के हल किए जाने के बाद मुख्य समस्याओं पर मंथन किया गया. पार्षद राम कश्यप, शादाब, गिरधर गोपाल, प्रकाश वर्मा सहित पूर्व पार्षद कमल कश्यप, गोपाल सिंह और छोटू टंकी पर चढ़ गए थे. पार्षदों का कहना है कि पट्टा बनाने के लिए जो नई फाइलें आ रही हैं उनको भी यहां जमा नहीं किया जा रहा है. इस पर एडीएम ने विधिवत जानकारी दी और कहा कि शनिवार तक फाइल जमा नहीं की जा सकती.
6 फाइलों का पता ही नहीं कहां गई
पार्षदों ने आरोप लगाया कि नगर परिषद से प्रशासन शहरों के संग अभियान में पट्टों की 6 फाइलों तो पता नहीं नहीं कहां चली गई. लेकिन अधिकारी कह रहे हैं कि फाइलें जमा ही नहीं हुई, फिर से जमा करवा दो. ऐसे में लोगों को खासी समस्या आ रही है. नगरपरिषद में काम नहीं होने पर बीजेपी के पार्षद अपना बोर्ड होते हुए भी टंकी पर चढ़ गए. अभियान की शुरूआत से अब तक 10 हजार पट्टे लेकिन इसके उलट केवल 3700 पट्टे ही बन पाए. अब 30 सितंबर को अभियान खत्म होने जा रहा है और लोग इस योजना के लाभ से वचिंत रह जाएंगे.
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