Rajasthan News: नेशनल बैडमिंटन प्रतियोगिता में 76 साल के दंपति ने जीता कांस्य पदक, इंटरनेशनल के लिए किया क्वालिफाई
Jaipur: पति बीएस चावत 76 साल के हैं और पत्नी माया चावत 75 साल की हैं. जिला बैडमिंटन संघ के चांद चावत जो इनके पुत्र हैं ने बताया कि मम्मी-पापा पहले से ही खेल से जुड़े हुए हैं.
Rajasthan News: किसी ने सही कहा है कि उम्र केवल एक संख्या है. हौसलों में उड़ान हो तो उम्र कोई मायने नहीं रखती और इसका जीता जागता उदाहरण पेश किया है उदयपुर के चावत दंपति ने, जिन्होंने 75 साल की उम्र में गोवा में हुई नेशनल बैडमिंटन प्रतियोगिता में कास्य पदक जीता.
जी हां, उदयपुर की चावत दंपति ने गोवा में आयोजित हुई ऑल इंडिया मास्टर बैडमिंटन मिक्स डबल में कास्य पदक जीता है. इसी के साथ ऐसा करने वाली यह राजस्थान की पहली जोड़ी बन चुकी है. बड़ी बात यह है कि इस जोड़ी ने इंटरनेशनल प्रतियोगिता में भी क्वकिफ़ाई कर लिया है. आइये जानते हैं इस जोड़ी के बारे में.
पति 76 तो पत्नी 75 साल की
इस जोड़ी में पति बीएस चावत 76 साल के हैं और पत्नी माया चावत 75 साल की हैं. जिला बैडमिंटन संघ के चांद चावत जो इनके पुत्र हैं ने बताया कि मम्मी-पापा पहले से ही खेल से जुड़े हुए हैं. पिता टेनिस के कोच रह चुके हैं और मां बैडमिंटन कोच रह चुकी हैं. मां तो पहले भी इस प्रतियोगिता में भाग ले चुकी हैं और सिल्वर सहित अन्य पदक जीत चुकी हैं.
मां को देखते हुए पिता ने भी बैडमिंटन में वेटरन्स खेलने की सोचा और प्रैक्टिस शुरू की. पिता पहली बार मां के साथ वेटरन्स में नेशनल खेले और पदक जीत लिया. उन्होंने बताया कि दोनों ने साउथ कोरिया में होने वाली वर्ल्ड मास्टर चेम्पियनशिप के लिए क्वालीफाई कर लिया है, इसके साथ ही उन्होंने इसकी तैयारी भी शुरू कर दी है.
देश की पहली महिला कोच रही माया चावत
उन्होंने बताया कि वेटरन्स का मतलब 35 साल से ज्यादा उम्र के खिलाड़ियों की प्रतियोगिता होती है. इसमें 5-5 साल के ग्रुप होते हैं जिनके बीच मैच होता है. साथ ही प्रतियोगिता के नियम वही रहते हैं जो यूथ के होते हैं. उन्होंने आगे दावा किया कि मां भारतीय खेल प्राधिकरण में देश की पहली महिला कोच थीं. साथ ही पिता टेनिस कोच रह चुके हैं.
सेवानिवृति के बाद भी दोनों ने अपना खेल नहीं छोड़ा. उनका रोजाना जो रूटीन रहता था वह आज भी है. सुबह से खेलना, जिमिंग, रनिंग सहित अन्य एक्टिविटी करते हैं जिससे कि वो दोनों फिट रह सकें.
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