Savan 2023: सास-बहू नाम की नदियों के संगम पर स्थित हैं गोरेश्वर महादेव मंदिर, 800 साल पुराना है शिवालय
Kota News: यहां हम आपको झालावाड के रटलाई स्थित एक ऐसे मंदिर का महत्व बता रहे हैं, जो अपने आप में अद्भुत और काफी प्रसिद्ध है. यह मंदिर है प्राचीन गोरेश्वर महादेव का. मंदिर कर 800 साल पुराना है.
Rajasthan Temples: आज सावन (Savan 2023) का तीसरा सोमवार है. हम आपको कोटा संभाग के प्राचीन शिवालयों के बारे में बता रहे हैं. इस बार हम आपकों कोटा संभाग के झालावाड जिले में रटलाई स्थित एक ऐसे मंदिर का महत्व बता रहे हैं जो अपने आप में अद्भुत है. यह मंदिर धार्मिकता और आस्था के लिहाज से काफी प्रसिद्ध है.भालता मार्ग पर करीब डेढ़ किलोमीटर दूर मेलकी गांव के समीप पर प्राचीन गोरेश्वर महादेव मंदिर में सावन की छटा बिखरी हुई है. इसी कारण कस्बे से दूर होने के बाद भी अनेक श्रद्धालु जल चढ़ाने व पूजा-अर्चना करने आते हैं. मंदिर में वर्षभर अखंड ज्योत जलती रहती है. खास बात है कि उजाड़ (स्थानीय लोगों के अनुसार) सास-बहू के नाम से विख्यात दो नदियां के संगम स्थल पर स्थित है. दो नदियों का संगम होने से मंदिर सम्मेल (समेर) के महादेव के नाम से विख्यात है. संगम स्थल होने के कारण अन्तिम संस्कार के बाद अस्थियों को यहां नदी में प्रवाहित किया जाता है. यह शिवालय शिलालेख के अनुसार करीब 800 साल से भी ज्यादा प्राचीन है.
एक बड़े पत्थर पर बने है बारह ज्योतिर्लिंग
गोरेश्वर महादेव मंदिर की दूसरी मंजिल पर चमत्कारी द्वादश ज्योतिर्लिंग है, जो रटलाई के दिवंगत कारीगर मथुरा लाल विश्वकर्मा ने एक बड़े पत्थर पर कारीगरी कर बनाए थे.यह क्षेत्र में बारह ज्योतिलिंर्गों वाला एक मात्र मंदिर है.बारह ज्योतिर्लिंग की मूर्ति अद्वितीय है.
मंदिर में गोरेश्वर महादेव, गणेश, कार्तिकेय, माता पार्वती और भगवान विष्णु के चतुर्भुज रूप वाली प्राचीन मूर्ति विराजित हैं. हरियाली के बीच नदियों के किनारे स्थित महादेव मंदिर पर श्रद्धालुओं की रौनक लगी रहती है. स्थानीय निवासियों के अनुसार वर्षों पूर्व यहां एक विशाल शिवलिंग था, जो प्राकृतिक आपदाओं के कारण ध्वस्त हो गया. गहरी आस्था के चलते सावन मास में दूर-दूर से श्रद्धालु यहां आकर पूजा अर्चना करते हैं. प्राचीन मंदिर के भूतल पर शिवलिंग, नंदी, पार्वती, नाग देवता की प्रतिमा है.
पुरासंपदा के भंडार
गोरेश्वर मंदिर परिसर में धर्मशाला निर्माण के समय खोदी गई नींव से प्राचीन शिवलिंग, पिण्ड, नंदी, नटराज समेत कई खंडित मूर्तियों के अवशेष मिले है. वहीं गुम्बद, शिलाखंड भी प्राप्त हुए. कई मूर्तियां खंडित हो गई हैं. इसी परिसर में मंदिर समिति और श्रद्धालुओं ने हनुमान, गणेश, सरस्वती समेत कई देवी-देवताओं की मूर्तियां भी विराजमान कर रखी है.
लोकप्रिय पिकनिक स्पॉट
धार्मिक आस्था के साथ ही मंदिर परिसर में रसोई बनाने की पर्याप्त जगह, खाना बनाने व खिलाने के लिए धर्मशाला, छाया, पानी की सुविधा उपलब्ध है. बच्चों के लिए मनोरंजन की व्यवस्था है. इसी के चलते लोग यहां पिकनिक मनाने पहुंचते हैं.इसके साथ ही यहां पर लोगों के द्वारा कच्ची रसोई भी बनाई जाती है.सावन के माह में लोग काफी संख्या में यहां दर्शन के लिए आते हैं. मंदिर समिति द्वारा रसोई बनाने के लिए बर्तन भी उपलब्ध करवाए जाते हैं.
ये भी पढ़ें