Rajasthan News: जोधपुर में दोस्ती की दिखी अनूठी मिसाल, दिव्यांग दोस्त को आसमान में भरवाई उड़ान, पढ़ें पूरी खबर
जोधपुर के सागर व्यास पेशे से वेब डिजाइनिंग का काम करते हैं सागर व्यास एक गंभीर बीमारी से ग्रसित हो चुके हैं. उनका आसमान में उड़ान भरने का सपना था जो उनके दोस्तों ने पूरा कर दिया.
Jodhpur News: दोस्त हर उम्र में और हर परेशानी में अपने दोस्त का साथ कभी नहीं छोड़ते और उसकी बात सुनते हैं उसे समझने की भी कोशिश करते हैं. दोस्ती का खास रिश्ता जो आप हर जगह देखते हैं हर किसी न किसी का कोई खास दोस्त होता है जोधपुर के सागर व्यास पेशे से वेब डिजाइनिंग का काम करते हैं सागर व्यास एक गंभीर बीमारी से ग्रसित हो चुके हैं इस बीमारी में शरीर धीरे-धीरे काम करना बंद कर देता है. सागर का 80% शरीर काम करना बंद हो चुका है. सागर व्यास का लेकिन हौसले आज भी आसमान में उड़ने के हैं अपनी इच्छा सागर व्यास ने अपने दोस्तों को बताई तो दोस्तों ने सागर व्यास को पैरासेलिंग की उड़ान भरने के लिए राजी हुए और जोधपुर से जैसलमेर पहुंचे जहां पर व्हीलचेयर के साथ बैठाकर सागर व्यास को दोस्तों ने पैरासेलिंग का मौका दिया और सागर व्यास ने पैरासेलिंग कर अपनी इच्छा को पूरा किया. दोस्तों की बात करें तो दोस्त अपनी दोस्ती के लिए कुछ भी कर जाते हैं और ऐसी ही मिसाल तीन दोस्तों ने दी है जबकि उनका दोस्त शारीरिक रूप से बिल्कुल कमजोर हो चुका है.
मस्कुलर डिस्ट्रॉफी से पीड़ित हैं सागर
सागर व्यास को मस्कुलर डिस्ट्रॉफी नामक गंभीर बीमारी है. इलाज को लेकर देश में कुछ खास विशेष सुविधा नहीं है इस बीमारी को पूर्ण तरह ठीक करने के लिए अभी तक कोई उपचार सामने नहीं आया है लेकिन मांसपेशियों के सिकुड़न रोकने के लिए इसमें कुछ दवाइयां दी जाती हैं. जिनको लेने से मांसपेशियों में सिकुड़न कम होती है और कुछ प्रतिशत शरीर काम करने लगता है. इस तरह की गंभीर बीमारी को देखते हुए मरीजों को दिव्यांगों के उपकरण देकर उनके जीवन को आसान बनाया जाता है. इससे पूर्व भी कई ऑपरेशन हुए थे लेकिन वह आज दिन तक सक्सेस नहीं हुए जिसके चलते इस बीमारी को लाइलाज कहा जा सकता है इस बीमारी मैं स्टेम सेल थेरेपी से इस बीमारी को कुछ हद तक कंट्रोल किया जा सकता है. लेकिन इस टाइम सेल थेरेपी के लिए चेन्नई, मुंबई, पुणे व बेंगलुरु में सुविधा उपलब्ध है आमतौर पर यह थेरेपी बहुत महंगी होती है जो हर किसी के पहुंच में नहीं होती है वही आयुर्वेद में इसका पंचकर्म के तहत मरीज को थोड़ी राहत मिलती है.
20 साल में बीमारी का पता चला
मस्कुलर डिस्ट्रॉफी गंभीर बीमारी है इस बीमारी का पता मनीष को 20 वर्ष की उम्र के बाद धीरे-धीरे पता चलने लगता है धीरे-धीरे शरीर काम करना बंद करता है और मस्कुलर डिस्ट्रॉफी बीमारी उस मरीज को धीरे-धीरे ग्रसित करती रहती हो और शरीर का 80% हिस्सा काम करना बंद कर देता है.
यह भी पढ़ें:
MP Weather Update: मध्य प्रदेश में और बढ़ेगी ठिठुरन, अगले कुछ दिनों में हो सकती है बारिश