उदयपुर: देशभर के गांवों और कस्बों में कई पुरानी परंपराएं हैं जिसका आज भी निर्वहन किया जाता है. लेकिन हम आज ऐसी परंपरा के बारे में बताने जा रहे हैं जहां पुरुषों को अपना घर छोड़ना पड़ता है. वह ना घर का खाना खाते हैं और ना ही पानी पीते हैं. पुरूष मंदिरों में जाकर रहते हैं और भगवान की भक्ति करते हैं. यह परंपरा है उदयपुर संभाग के बांसवाड़ा जिले में. खास बात यह है कि पुरुष इस परंपरा को अपने घर की खुशहाली के लिए पूरा करते हैं. 


जानिए ऐसा क्यों करते


ऐसी मान्यता है कि जब शनि राशि परिवर्तन करता है तो घर के मुखिया को 24 घंटे के लिए घर से बाहर रहना होता है. इस शनि पलटा भी कहते हैं. इससे शनि की साढ़े साती और वक्र दृष्टि सहित अन्य पनौती दूर होती है. इस दौरान उसे न तो किसी परिजन से मिलने की इजाजत होती है और न ही उसे घर से खाना-पानी मिलता है. स्नान-पूजन के बाद अगले दिन उसे घर लौटने की अनुमति होती है. इसमें भी खास बात यह कि मुखिया को अपनी चप्पलें मंदिर परिसर या अन्य किसी स्थान पर छोड़कर नंगे पैर ही आना होता है. समाज में लोग पनौती की इस परंपरा का पीढ़ी दर पीढ़ी निभाता आ रहे हैं. 


क्या कहते हैं ज्योतिषी 


पंडित लोकेंद्र पंड्या ने बताया कि शनि राशि परिवर्तन करता है तो उस दौरान अनिष्ट होने की आशंका रहती है. जनजाति समाज आज भी इसका कड़ाई से पालन करता है. इस बार 29 अप्रैल सुबह 7:20 बजे शनि राशि परिवर्तन कर रहा है. इसका प्रभाव मिथुन, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर, कुंभ, मीन आदि राशियों पर पड़ेगा. इस राशि के घर के मुखियाओं ने 12 घंटे पूर्व 28 अप्रैल को शाम 7 बजे से पहले घर छोड़ दिया. वो 29 अप्रैल को सुबह पूजन, भजन, दान इत्यादि कर नए चप्पल या कपड़े पहनकर शाम 7 बजे बाद घर लौटेंगे. इस दौरान विशेषरूप से भगवान हनुमान और शनिदेव के मंदिर में पूजन किया जाता है.


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