Rajasthan Assembly Elections: राजस्थान विधानसभा चुनाव को लेकर राजनैतिक हलचल तेजी से बढ़ती जा रही है. राजस्थान में सीधा मुकाबला जहां कांग्रेस (Congress) और बीजेपी (BJP) के बीच है, वहीं अब आम आदमी पार्टी (AAP) के नेताओं का यहां आने-जाने का सिलसिला शुरू हो गया है. आप के दो बार के दिल्ली विधायक और कोटा संभाग प्रभारी शिवचरण गोयल (Shiv Charan Goel) ने कहा कि गहलोत सरकार ने साढ़े चार वर्षों में राजस्थान का बेड़ा गर्क कर दिया है. प्रदेश में विपक्षी दल बीजेपी ने मजबूत होते हुए भी कोई मुद्दा नहीं उठाया है जिससे जनता महंगाई और भ्रष्टाचार से जूझती रही है. दोनों पार्टियां का गठजोड़ जनता देख रही है. 


शिवचरण ने कहा, 'जब से मैं राजस्थान से जुड़ा हूं तभी से देख रहा हूं कि यहां पीने के पानी के लिए लोग दो-दो घंटे की यात्रा करने पर भी लोगों को पानी नहीं मिल रहा है. जब कोई राज्य जनता को पीने का पानी नहीं दे सकता, तो हम उससे और क्या उम्मीद लगा सकते हैं.' उन्होंने कहा कि यदि कोई विधायक इनके खिलाफ खड़ा हो जाए तो उसे मंत्री या अन्य मलाईदार पद देकर चुप करा दिया जाता है. पूरे प्रदेश में बिजली और पानी की भारी परेशानी है. सरकारी स्कूलों और सरकारी अस्पतालों में नारकीय हालात हैं. उन्होंने कहा कि पांच वर्ष पहले राजस्थान में एक लाख करोड़ रुपए का कर्ज था जो आज बढ़कर 5.50 लाख करोड़ रुपए हो चुका है.


'दिल्ली जैसा राजस्थान में एक भी सरकारी स्कूल नहीं'


शिवचरण ने दिल्ली का उदाहरण देते हुए कहा कि दिल्ली में 76 प्रतिशत परिवारों का शून्य बिल आता है, जबकि 15 प्रतिशत परिवारों का 900 रुपए बिल आता है. उन्होंने कहा कि दिल्ली के सरकारी स्कूलों के जैसा राजस्थान में एक भी सरकारी स्कूल नहीं होगा. दिल्ली के सरकारी स्कूल प्राईवेट स्कूलों से बेहतर हैं. आज वहां स्वीमिंग पूल, स्पोर्ट्स कोर्ट, लाईब्रेरी, लेबोरट्री और कम्प्यूटराईज्ड व्यवस्थाएं हैं. दिल्ली में पिछले साल चार लाख बच्चों ने नाम कटवाकर सरकारी स्कूलों में एडमिशन लिया है. उन्होंने बताया कि दिल्ली सरकार ने 51 एक्सीलेंस स्कूल खोले हैं, उसमें पांच हजार बच्चों की वेकेंसी है, उसके लिए 98 हजार एडमिशन की लाइनें हैं. उन्होंने दावा किया कि पिछले वर्ष दिल्ली के सरकारी स्कूलों का 12वीं का रिजल्ट 98 प्रतिशत रहा है, इतना रिजल्ट प्राइवेट स्कूलों का भी नहीं होता. राजस्थान सरकार महात्मा गांधी इंग्लिश मीडियम स्कूल खोलकर वाहवाही लूट रही है, जबकि हकीकत में इन स्कूलों में पढ़ाई का स्तर ही नहीं है, अभिभावक निराश हैं.


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