जोधपुर में महिला कर्मचारी को रिश्वत लेते ACB ने रंगे हाथ दबोचा, जानें कैसे हुआ मामले का खुलासा
ACB Action In Jodhpur: एसीबी ने एमडीएम अस्पताल में अटेंडेंस रजिस्टर में हेरफेर कर रही एक महिला कर्मचारी और उसके दलाल को रिश्वत लेते पकड़ा है. शिकायत के बाद एसीबी ने कार्रवाई की.
Jodhpur News: भ्रष्टाचारियों पर भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) सख्त कार्रवाई के मूड में नजर आ रही है. जोधपुर के MDM अस्पताल से एसीबी टीम ने एक महिला कर्मचारी सहित दलाल को रिश्वत लेते हुए पकड़ा है. महिला कर्मचारी ठेका कर्मियों का हाजिरी रजिस्टर मेंटेन करती थी.
कर्मचारियों की हाजिरी में 12 अटेंडेंस ज्यादा जोड़कर कमीशन के रुपये खुद लिया करती थी, शिकायत के बाद एसीबी ने शुक्रवार को उसे और उसके दलाल को रिश्वत लेते रंगे हाथों दबोच लिया, पकड़े जाने पर महिला कर्मचारी सर पड़कर रोने लगी और मीडिया कर्मियों से अपना मुंह छुपाने लगी.
27 दिन किया था हॉस्पिटल में काम
भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के डीवाईएसपी गोवर्धन राम ने बताया कि मथुरादास माथुर अस्पताल में संविदा पर नियुक्त कर्मचारियों ने शिकायत की थी. उसने बताया था कि अस्पताल की ईसीजी टेक्निशियन वैशाली शर्मा की अटेंडेंस भर्ती है. अस्पताल में टेक्नीशियन के तौर पर 27 दिन हॉस्पिटल में काम किया था.
लेकिन इंचार्ज वैशाली शर्मा ने 40 दिन की उपस्थिति का रिकॉर्ड बनाकर पेमेंट पास किया था. इसके बाद 12 दिन की हाजिरी ज्यादा लिखने के बदले में कमीशन के 3600 रुपये की मांग की गई.
रिश्वत मांगने की हुई पुष्टि
मथुरादास माथुर अस्पताल में अटेंडेंस बढ़ाने के फर्जीवाड़े के मामले की शिकायत मिलने पर एसीबी ने शिकायत का सत्यापन करवाया. जिसमें रिश्वत मांगने की पुष्टि हुई. ACB टीम ने आज शुक्रवार को कार्रवाई करते हुए.
एमडीएम अस्पताल के मल्टी लेवल आईसीयू में टेक्नीशियन के ऑफिस में कार्रवाई की उस दौरान परिवादी से रिश्वत के रुपये लेने के बाद वैशाली ने दलाल पीयूष शर्मा को दिए थे. इसके बाद दलाल ने कुछ रुपये वैशाली शर्मा को दिए. एसीबी ने वैशाली के बैग से 3600 रुपये की राशि बरामद कर दलाल सहित रंगे हाथों पकड़ लिया है.
काम मिलते ही लालच आना हो गया शुरू
एसीबी ने जैसे ही महिला कर्मचारी को पकड़ा वो सिर पकड़कर रोने लगी. महिला कर्मचारी वैशाली शर्मा करीब ढाई साल पहले जोधपुर के मथुरादास माथुर अस्पताल में एक टेक्नीशियन के तौर पर चयनित हुई थी. उसे यहां पर एक डिपार्टमेंट में काम करने वाले ठेका कर्मियों की हाजिरी बनाने और उपस्थित रिकॉर्ड दर्ज करने का जिम्मा अस्पताल प्रशासन के द्वारा सौंपा गया था.
यह काम मिलते ही वैशाली के मन में लालच आना शुरू हो गया. उसने ठेका कर्मी दलाल के साथ मिलकर उन लोगों को निशाना बनाना शुरू किया. जो एमडीएम अस्पताल में नए-नए स्टाफ के तौर पर लगे थे.
कमीशन के तौर पर लेते थे पैसे
इन्हें संविदाकर्मियों को वैशाली शर्मा और उसका साथ ही दलाल हाजिरी रजिस्टर में कम दिन काम करने के बावजूद ज्यादा उपस्थिति दर्ज कर कमीशन के तौर पर पैसे लेते थे. सरकार को चूना लगाने का काम करती थी. ईसीजी टेक्नीशियन के तौर पर काम करने वाले निविदाकर्मी को 280 रुपये प्रतिदिन मिलते हैं. जिसमें 6 घंटे तक ड्यूटी करनी पड़ती है.
डर से कोई बोलने की नहीं जुटा पाता था हिम्मत
भ्रष्टाचार निरोधक बुरे और की जांच में यह भी सामने आया कि तकनीशियन कम दिनों में काम करने के बावजूद ज्यादा हाजिरी के कारण ज्यादा रुपये कमाता है कई टेक्नीशियन अतिरिक्त रुपये आने पर वैशाली को नहीं लौटते थे ऐसे लोगों को वैशाली ने टारगेट करना शुरू कर दिया था इसका सबसे ज्यादा खामियाजा महिला कर्मचारी को भुगतना पड़ता था यहां तक की कई ऐसी कर्मचारी दी थी जिन्हें छोटे बच्चे होने के बावजूद भी वैशाली नहीं बसती थी उन्हें जानबूझकर नाइट ड्यूटी लगाकर पड़ताल करती थी, इसके चलते कई स्टाफ भी परेशान थे, उसके डर से कोई बोलने की हिम्मत नहीं जुटा पाता था, इस वजह से दिनों दिन वैशाली कर्मचारियों को तंग करने लगी, आखिरकार एक ठेका कर्मी ने ACB में शिकायत कर दी थी.
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