Acharya Dharmendra Died: राम मंदिर आंदोलन में बेहद सक्रिय भूमिका निभाने वाले देश के जाने माने हिंदू नेता और संत आचार्य धर्मेंद्र (Acharya Dharmendra) का आज सोमवार को निधन हो गया. आचार्य धर्मेंद्र का जयपुर के एसएमएस अस्पताल (SMS Hospital) में पिछले एक महीने से खराब स्वास्थ्य के कारण इलाज चल रहा था. आचार्य धर्मेंद्र आंत की बीमारी से पीड़ित थे. एसएमएस अस्पताल के आईसीयू में इलाज के दौरान आज उन्होंने अंतिम सांस ली. विराट हिंदू सम्राट, हिंदुत्व के लिए अपनी आवाज मुखर करने वाले संत का निधन वाकई हिंदू समाज के लिए एक बहुत बड़ी क्षति है. वहीं आचार्य के शिष्य तो इसे एक युग का अंत तक मान रहे हैं.


आचार्य धर्मेंद्र का जयपुर के दिल्ली रोड पर कोटपूतली के नजदीक विराटनगर में मठ है. आचार्य इसी मठ में रहकर अपनी साधना करते थे. श्रीपंचखंड पीठ में साधना करने वाले आचार्य धर्मेंद्र विश्व हिंदु परिषद के मार्गदर्शक रहे और उन्होंने राम मंदिर आंदोलन व गायों की हत्या से जुड़े बड़े आंदोलनों की अगुवाई भी की थी.


आचार्य धर्मेंद्र का जन्म 9 जनवरी 1942 को गुजरात के मालवाडा में हुआ था. उन पर पिता महात्मा रामचन्द्र वीर महाराज के आदर्शों और व्यक्तित्व का प्रभाव पड़ा. आचार्य ने मात्र 13 साल की उम्र में वज्रांग नाम से एक समाचारपत्र भी निकाला था. वहीं अयोध्या में बाबरी विध्वंस मामले में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह, उमा भारती के साथ – साथ आचार्य धर्मेंद्र को भी आरोपी माना गया था.


पीएम नरेंद्र मोदी से भी था संपर्क


विराट हिंदू सम्राट, हिंदुत्व के लिए अपनी आवाज मुखर करने वाले व विश्व हिंदू परिषद से जुड़े होने के कारण आचार्य धर्मेंद्र का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से संपर्क. उनके साथ राजस्थान समेत कई अन्य राज्यों के दिग्गज बीजेपी नेता भी जुड़े हुए थे. आचार्य धर्मेंद्र ने कई बड़े-बड़े आंदोलन भी किए, जिससे लोगों के बीच वे काफी लोकप्रिय रहे. बीजेपी के साथ ही कांग्रेस के नेता भी उनसे संपर्क में रहे. उन्होंने अपना पूरा जीवन हिंदुत्व और हिंदुस्तान की रक्षा के लिए समर्पित कर दिया. वे बड़े-बड़े आंदोलनों के साथ सत्याग्रह करते रहे, वह जेल भी गए और लंबा समय जेल में व्यतीत किया. उनके निधन के बाद पूरे देश में शोक की लहर है. पीएम मोदी ने भी उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है.


आचार्य धर्मेंद्र बोले- मैं ही आरोपी नंबर वन हूं


आचार्य धर्मेंद्र ने श्री राम मंदिर आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाते हुए इस आंदोलन में अहम योगदान दिया था. विहिप के मार्गदर्शक मंडल में रहे आचार्य राम जन्मभूमि आंदोलन के बड़े चेहरों में से एक थे. वह राम मंदिर के मुद्दे पर बड़ी ही बेबाकी से अपनी बात रखते थे. वहीं जिस दिन बाबरी विध्वंस मामले का फैसला आने वाला था, उस समय उन्होंने कहा था- ‘सत्य से क्या डरना जो भी फैसला होगा मुझे मंजूर होगा. मैं ही आरोपी नंबर वन हूं.’ इसके बाद जब फैसला आया तो उन्होंने खुशी जाहिर करते हुए कहा- आखिरकार सत्य की जीत हुई है.


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