दीर्घकाल दीक्षा धारी राष्ट्रीय संत आचार्य श्री विद्यासागर महाराज ने शनिवार देर रात्रि ब्रह्मकाल में अपनी देह का त्याग कर दिया. प्रचार सचिव मनोज जैन आदिनाथ ने बताया कि संतशिरोमणि के नाम से प्रसिद्ध आचार्य विद्यासागर जी महाराज ने छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ के चंद्रगिरी पर्वत पर ब्रह्मकाल के मुहूर्त में अपनी नश्वर देह का त्याग किया. कोटा से आचार्यश्री की यादें जुड़ी हैं.


कोटा में अल्पकालीन प्रवास लगभग 45 वर्ष पूर्व वर्ष 1979 में किशनगढ़ से मध्यप्रदेश की ओर विहार करते समय कोटा के रामपुरा में हुआ था. कोटा सरोवर के किनारे स्थित गीता भवन में आचार्य श्री के मंगल प्रवचन हुए थे. उस समय के नगर सेठ जंबू जैन के निवास पर संघ की आहार चर्या हुई थी. 
45 वर्षों के बाद राजस्थान की ओर नहीं हुआ आगमन
सकल दिगम्बर जैन समाज समिति के अध्यक्ष विमल जैन नांता ने बताया कि आचार्य विद्यासागर महाराज की साधना का अधिकांश समय मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार, महाराष्ट्र, गुजरात में बिता. मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड में श्रमण संस्कृति की प्रभावना अधिक है तो वहां से मोक्ष मार्ग की ओर बढ़ने वाले आत्मयोगियों ने आचार्य श्री से दीक्षा लेकर अपना मोक्षमार्ग प्रशस्त्र किया.


आचार्य विद्यासागर महाराज के हाड़ौती क्षेत्र में सिर्फ जैन समाज ही नहीं अपितु अन्य समाज भी अपना इष्ट गुरु मानता है. इनमें लोकसभा स्पीकर ओम बिरला, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, पूर्व मंत्री शांति धारीवाल, प्रमोद जैन भाया आदि शामिल है.
 
जीवन पर बनी फिल्म की कोटा में हुई थी शूटिंग
सोमवार को आरोग्य नगर स्थित जैन जन उपयोगी भवन परिसर में मुनि आदित्य सागर महाराज ससंघ के पावन सानिध्य सर्वधर्म विनयांजलि सभा का आयोजन होगा जिसमें कोटा का जैनसमाज व अन्य धर्मों के लोग रहेंगे.
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