Rajasthan: दिगंबर जैन मुनि परंपरा के आचार्य विद्यासागर महाराज का राजस्थान से गहरा नाता था. उनकी दीक्षा भी राजस्थान में ही हुई थी. 55 साल पहले 30 जून 1968 को अजमेर शहर में आचार्य ज्ञानसागर महाराज से दीक्षा ग्रहण की थी. दीक्षा कार्यक्रम में देशभर से 30 हजार से ज्यादा श्रावक-श्राविकाओं ने भाग लिया था. अजमेर (Ajmer) के महावीर सर्किल पर बने 71 फीट ऊंचे कीर्ति स्तंभ पर आज भी आचार्यश्री की जीवन यात्रा का उल्लेख है.


शरद पूर्णिमा के दिन हुआ था जन्म
आचार्य विद्यासागर महाराज का जन्म 10 अक्टूबर 1946 को शरद पूर्णिमा के दिन हुआ था. वह कर्नाटक के बेलगांव स्थित सदलगा गांव में जन्मे थे. उनके तीन भाई और दो बहनें हैं. तीनों भाई में से दो भाई आज मुनि हैं और एक भाई महावीर प्रसाद भी धर्म कार्य में लगे हुए हैं. आचार्य विद्यासागर महाराज की सांसारिक बहनें स्वर्णा और सुवर्णा ने भी उनसे ही जैन भागवती दीक्षा ग्रहण की थी. आचार्यश्री ने अपने जीवनकाल में 500 से ज्यादा दीक्षाएं प्रदान की. उनके शिष्य देशभर में धर्म का प्रचार कर भगवान महावीर स्वामी के संदेशों को जन-जन तक पहुंचा रहे हैं.


26 साल की उम्र में बने आचार्य
जैन समाज में मौजूदा समय के महावीर कहलाने वाले आचार्य विद्यासागर जी महाराज बेहद कम उम्र में ही आचार्य बन गए थे. जब आचार्य ज्ञानसागर ने समाधि ली थी तब उन्होंने अपना आचार्य पद मुनि विद्यासागर को सौंप दिया था. उस वक्त मुनि विद्यासागर की आयु महज 26 वर्ष थी. आचार्य विद्यासागर जी महाराज 22 नवंबर 1972 को आचार्य पद पर सुशोभित हुए थे.


चंद्रगिरी तीर्थ पर ली अंतिम सांस
आचार्य विद्यासागर ने अपने जीवन का अंतिम समय चंद्रगिरी जैन तीर्थ स्थल पर बिताया. छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ स्थित चंद्रगिरी जैन तीर्थ में शनिवार रात उनका संथारापूर्वक देवलोक गमन हुआ. तीन दिन पहले उन्होंने उपवास रखकर मौन धारण किया था. रविवार दोपहर उनके अंतिम संस्कार की रस्म निभाई जाएगी. आचार्यश्री के देह त्यागने की खबर से जैन समाज में शोक छा गया है. देशभर से श्रावक-श्राविकाएं उनका अंतिम दर्शन करने के लिए चंद्रगिरी तीर्थ पहुंच रहे हैं.


पीएम मोदी ने लिया था आशीर्वाद
देश के राजनेता और फिल्म कलाकार भी आचार्य विद्यासागर महाराज का आशीर्वाद लेने पहुंचते थे. बीते साल 5 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने भी डोंगरगढ़ पहुंचकर आचार्यश्री का आशीर्वाद लिया था. आचार्यश्री के ब्रह्मलीन होने पर पीएम मोदी ने इसे भारत देश के लिए एक बड़ी क्षति बताया है.


आचार्य श्री को पीएम मोदी ने किया याद
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि 'आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज जी का ब्रह्मलीन होना देश के लिए एक अपूरणीय क्षति है. लोगों में आध्यात्मिक जागृति के लिए उनके बहुमूल्य प्रयास सदैव स्मरण किए जाएंगे. वे जीवनपर्यंत गरीबी उन्मूलन के साथ-साथ समाज में स्वास्थ्य और शिक्षा को बढ़ावा देने में जुटे रहे.'


नरेंद्र मोदी ने आग कहा, "यह मेरा सौभाग्य है कि मुझे निरंतर उनका आशीर्वाद मिलता रहा. पिछले वर्ष छत्तीसगढ़ के चंद्रगिरी जैन मंदिर में उनसे हुई भेंट मेरे लिए अविस्मरणीय रहेगी. तब आचार्य जी से मुझे भरपूर स्नेह और आशीष प्राप्त हुआ था. समाज के लिए उनका अप्रतिम योगदान देश की हर पीढ़ी को प्रेरित करता रहेगा."



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