Jodhpur News: पुलिस कैसे किसी निर्दोष व्यक्ति को अपने शिकंजे में कस कर अपराधी बनाकर जेल भेज देती है? इस खेल का खुलासा खुद पुलिस विभाग ने अपनी जांच में किया है. दरअसल, राजस्थान पुलिस के थानाधिकारी सीताराम कॉन्स्टेबल करनाराम व भगवानाराम के द्वारा षड्यंत्र रचते हुए एक भोले भाले ग्रामीण को 3 किलो अफीम की फर्जी मामले में फंसाया था. इस पर अब राज्य मानवाधिकार ने कांस्टेबल को दोषी मानते हुए 5 साल तक किसी भी थाने में पदस्थापित नहीं किया जाने का आदेश दिया.
इसके अलावा उसे पीड़ित को ₹5 लाख का मुआवजा 2 माह के भीतर भीतर देने के लिए भी कहा है. तत्कालीन थाना अधिकारी सीताराम के वेतन से 2 लाख तथा कांस्टेबल के वेतन से 1-1 लाख वसूली कर सकते हैं. झूठे आरोपों में फंसने के बाद पीड़ित ने जेल में रहते हुए शिकायत दर्ज करावाई थी. जोधपुर रेंज आईजी नवजोत गोगई के निर्देशन पर हुई थी जांच पुलिस के उच्च अधिकारियों द्वारा की निष्पक्ष जांच की सराहना करते हुए स्वतंत्रता दिवस पर उच्च अधिकारियों को पुरस्कृत करने की अनुशंसा भी आदेश में की गई है.
क्या है पूरा मामला
जोधपुर के ग्रामीण क्षेत्र जामा पुलिस थाना क्षेत्र में रहने वाले भाकर राम पुत्र लाखाराम उम्र 70 वर्ष के विरुद्ध 27/07/2012 जांबा पुलिस थाना अधिकारी सीताराम व 2 कॉन्स्टेबल ने मादक पदार्थों की तस्करी के 3 किलो अफीम का दूध बरामद बता कर झूठा केस बनाया था. उसके बाद भाकर राम को जेल भेज दिया गया इस पर भाकर राम ने जोधपुर रेंज आईजी से लिखित शिकायत की और उसकी निष्पक्ष जांच की मांग की. इस पर पुलिस की जांच हुई पुलिस की जांच में मामला झूठा पाया गया तत्कालीन थानाधिकारी सीताराम व दो कॉन्स्टेबल करनाराम व भगवानाराम को लाइन हाजिर किया गया. पुलिस ने भाकर राम को जेल से छुड़वाया 5 महीने तक जेल में रहे भाकर राम जेल से बाहर आए पुलिस जांच में यह भी साफ हुआ कि भाकर राम ना तो कोई नशा करता है ना ही उनके परिवार में कोई नशा करता है भाकर राम एक धार्मिक प्रवृत्ति के व्यक्ति है जो कि 5 से 10 घंटे बालाजी के मंदिर में रहते हैं ना भाकर राम के विरुद्ध और ना ही उनके परिवार के विरुद्ध किसी भी तरह की पुलिस थाने में मामले लंबित नही है.
पीड़ित ने कहा जीने में शर्मिंदगी महसूस हो रही है
इस झठे मामले में पीड़ित भाकर राम ने कहा कि झूठे मामले के चलते मुझे 5 महीने कारावास रहना पड़ा जिससे मेरी प्रतिष्ठा पर सीधा असर पड़ा है. समाज व परिवार में प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से सामाजिक मानसिक आर्थिक व मनोवैज्ञानिक रूप से जीने में बहुत ही शर्मिंदगी महसूस हो रही है. पुलिस के इस बर्ताव व षड्यंत्र पूर्वक किये गए कृत्य से में और मेरा परिवार अभी तक इस सदमे से उबर नहीं पाये है.
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