Agriculture Innovation: हाडोती संभाग का अधिकांश भूभाग कृषि प्रधान है. खेती के लिए जमीन बेहद उपजाऊ है. खेत में आसानी से कोई भी फसल उगाई जा सकती है. किसानों को सिंचाई की समस्या नहीं है. समय-समय पर कृषि विज्ञान केंद्र नवाचार में किसानों की मदद करता है.
किसान नवाचार करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित भी हो चुके हैं. ऐसे ही किसानों में अर्जुनपुरा गांव निवासी जयप्रकाश गहलोत हैं. जयप्रकाश गहलोत ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा दे रहे हैं. नवाचार से उन्होंने मटर के दाने बराबर गोल गेहूं की फसल तैयार की है.
किसान जयप्रकाश गहलोत ने बताया कि गेहूं की फसल उगाने में देसी खाद का इस्तेमाल किया. गेहूं के दाने मटर के समान गोल आकार के हैं और पौधा बोनी प्रजाति का है. इसकी काफी मांग अब बाजार में हो रही है. दावा है कि पैगांबरी गेहूं शुगर फ्री है. शुगर पेशेंट को परेशानी नहीं होती. बाजार में सामान्य गेहूं की कीमत से काफी अधिक है. सामान्य गेहूं का मूल्य 2400 से 2800 रुपये क्विंटल के करीब है जबकि पैगांबरी गेहूं की कीमत 4500 रुपये प्रति क्विंटल आ रही है. एक बीघा में पैगांबरी गेहूं की पैदावार करीब 5 क्विंटल हुई है.
'पैगांबरी गेहूं' के गुणों से भरपूर होने का दावा
जयप्रकाश 2 साल से नवाचार की कोशिश कर रहे थे. उन्होंने कहा कि गेहूं की फसल ऑर्गेनिक तरीके से उगाई. केमिकल का जरा भी इस्तेमाल नहीं किया गया. उनका कहना है कि लैब में गेहूं की जांच की गई है. दावा है कि शुगर कंट्रोल हो सकता है. शोध में स्वास्थ्य लाभ देने वाले गुण पाए गए. कृषि विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिक डॉ. राकेश बैरवा का कहना है कि शुगर फ्री होने का नहीं कह सकते लेकिन ऑर्गेनिक गेहूं पौष्टिक होता है.
नवाचार की वजह से किसान हो चुके हैं सम्मानित
किसान जयप्रकाश गहलोत नवाचार के लिए राष्ट्रीय स्तर पर सम्मान पा चुके हैं. उन्होंने सफेद टमाटर, पीले रंग की मूली, सफेद गाजर, सफेद बैंगन उगाये हैं. उन्होंने कहा कि शुगर फ्री गेहूं को किसी भी तरह की मिट्टी में बोया जा सकता है. सिंचाई की जरूरत चार से पांच बार होती है. काली दोमट उपजाऊ मिट्टी की बात करें तो केवल दो सिंचाई में ही गेहूं की फसल पक जाती है. बुवाई नवंबर के प्रथम सप्ताह से लेकर जनवरी के प्रथम सप्ताह तक की जा सकती है.
120 से 125 दिन में तैयार हो जाती है फसल
गेहूं की फसल 120 से 125 दिन में पक कर तैयार हो जाती है. कटाई के समय निकलने वाला बेस्ट भूसा बारीक होता है. पशुओं के लिए पौष्टिक भी होता है. उन्होंने कहा कि गेहूं के आटे रोटियां बिल्कुल नरम बनती हैं. फिलहाल माना जा रहा है कि पैगांबरी गेहूं बीमारियों से काफी हद तक बचाव करेगा.डायबिटीज के रोगी के भी खा सकते हैं.
गेहूं में पाया जाने वाला मैग्नीशियम और पोटेशियम ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में मददगार साबित होता है. भरपूर मात्रा में फाइबर होने की वजह से गेंहू की फसल आने वाले समय में वरदान साबित हो सकती है. किसान जयप्रकाश का कहना है कि नये प्रयोग से उगाई गई फसल पर कृषि वैज्ञानिक रिसर्च कर रहे हैं. गेहूं की रोटियां खाने के बाद खाना बेहद जल्दी पच भी जाता है. उन्होंने वजन भी कम करने में मददगार होने का दावा किया.
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