Revenge of Ajmer Sex Scandal: राजस्थान में अपने बेटे की हत्या आंखों के सामने देखने के बाद एक मां के अंदर हत्यारों से बदला लेने की आग जलती रही. इसके लिए बूढ़ी मां ने करीब 30 साल का लंबा इंतजार किया. वो हर रोज अपने पोतों को उनके पिता के मर्डर की कहानी सुनाती और मौत का बदला लेने की बात कहती. दादी से कहानियां सुनकर बड़े हुए पोतों के मन में पिता की मौत का बदला लेने का जुनून था. तीन दशक से धधक रही आग अंजाम तक पहुंची और एक दिन मौका पाकर बेटों ने पिता के हत्यारे को मौत के घाट उतार दिया. यह कोई फिल्मी कहानी नहीं, हकीकत है.
1992 में सहम गया था अजमेर
मामला राजस्थान के अजमेर शहर का है. यह मामला देश के सबसे बड़े सेक्स स्कैंडल से जुड़ा है. ऐसा सेक्स स्कैंडल, जो देश के टॉप 5 जघन्य अपराधों में शुमार है. एक ऐसी सनसनीखेज वारदात, जिसमें सैकड़ों बेटियां दरिंदों की हवस का शिकार बनीं. 21 अप्रैल 1992 की सुबह अजमेर शहर के एक प्रतिष्ठित अखबार में छपी गैंगरेप की एक खबर ने लोगों की नींद उड़ा दी थी. संशय और सवालों के बीच वो खबर कुछ दिन लोगों के बीच सुर्खियों में रही. तभी 15 मई को धुंधली तस्वीरों के साथ उसी रिपोर्ट का दूसरा भाग प्रकाशित हुआ. तस्वीरों को देखकर लोग सहम उठे. मामला रोंगटे खड़े कर देने वाला था.
अखबार में छपी तस्वीरें स्कूल-कॉलेज में पढ़ने वाली लड़कियों की थीं, जिनका यौन शोषण हुआ था. आरोप था शहर के सबसे रईस और ताकतवर खानदानों में से एक चिश्ती परिवार पर. उसी चिश्ती परिवार का हिस्सा जो अजमेर की विश्वविख्यात ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह के खादिम हुआ करते हैं. आरोप लगा था कि चिश्ती परिवार के लोगों ने एक के बाद एक लड़कियों को ब्लैकमेल कर अपनी हवस का शिकार बनाया था. लड़की के साथ रेप करते वक्त आरोपी अश्लील वीडियो बना लेता था और उसी वीडियो का डर दिखाकर उस लड़की की सहेलियों को बुलाता और उनसे भी रेप करता. ऐसा करते हुए आरोपियों ने अजमेर की सैकड़ों लड़कियों के साथ रेप किया.
ब्लैकमेल कांड उजागर करने वाले पत्रकार की हत्या
इन खबरों का प्रकाशन करने वाले पत्रकार मदन सिंह एक निजी अखबार के संपादक थे. उनका अखबार में ब्लैक एंड व्हाइट प्रकाशित होता था. उन्होंने अपने समाचार पत्र में अजमेर सैक्स स्केंडल से जुड़े 76 एपिसोड प्रकाशित किए थे. 4 सितंबर 1992 को 76वें आर्टिकल में उन्होंने एलान किया था कि आगामी 77वें आर्टिकल में कई सफेदपोश और वर्दीवालों के नामों का खुलासा करेंगे. उस अंक से अखबार का प्रकाशित भी रंगीन होगा. यह एलान होते ही शहर में बवाल मच गया. उसी दिन रात के वक्त मदन सिंह अपने स्कूटर पर सवार होकर घर लौट रहे थे, तभी एक कार में सवार कुछ लोगों ने उन पर गोलियां चला दीं.
इसके बाद हमलावर मौके से फरार हो गए. वहां मौजूद कुछ लोगों ने घायल मदन सिंह को राजकीय जेएलएन अस्पताल में भर्ती करवाया. करीब एक सप्ताह बाद 11 सितंबर को अस्पताल में उपचार के दौरान रात के वक्त कुछ हमलावर अस्पताल के वार्ड में आए और उनको गोलियां मारकर मौत के घाट उतार दिया. उस वक्त मदन सिंह की मां घीसी बाई वहीं मौजूद थीं. उन्होंने यह सब अपनी आंखों से देखा. वो अकेली इस वारदात की चश्मदीद गवाह थीं.
मां की शिकायत पर दर्ज हुआ केस
पुलिस ने मां घीसी बाई की रिपोर्ट पर मदन सिंह की हत्या के मामले में केस दर्ज किया. रिपोर्ट के आधार पर तत्कालीन विधायक डॉ. राजकुमार जयपाल, पूर्व पार्षद सवाई सिंह तंवर, मोहब्बत सिंह, नरेंद्र पप्पसा, सुधीर शिवहरे और डॉ. जितेन्द्र चौधरी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार किया. हालांकि रसूखदार होने के कारण उन्हें जमानत मिल गई और वो रिहा हो गए. कत्ल के गुनहगारों को जमानत मिलने के बाद मदन सिंह की मां और परिवार के अन्य सदस्यों का खून खौलने लगा. उनके मन में बदले की भावना आ गई. जिस वक्त मदन सिंह का कत्ल हुआ उस वक्त उनके दो बेटे 8 साल का धर्मप्रताप और 7 साल का सूर्यप्रताप था.
ऐसे लिया पिता की मौत का बदला
धर्मप्रताप और सूर्यप्रताप की दादी घीसी बाई ने अपने बेटे का कत्ल होते हुए अपनी आंखों से देखा था. वह अपने पोतों को हर रोज हत्या की कहानी सुनाती और उन्हें पिता की मौत का बदला लेने को कहती. सूर्यप्रताप बीते 18 साल से अपने भाई के साथ पिता की हत्या की कानूनी लड़ाई लड़ रहा था. सवाई सिंह का सीना तानकर चलना और लोगों के साथ की जाने वाली बातें उनको खलती थी. वह कई जगह उसके पिता मदन सिंह की हत्या की कहानी दोहराकर उनका मनोबल कमजोर करने की कोशिश करता था.
कानूनी पेचीदगी और कोर्ट के चक्करों ने पिता के साथ हुए अन्याय का अहसास करवाया. दादी की कहानियां सुनकर और कोर्ट के चक्कर लगाने से उनके अंदर बदले की आग भड़क रही थी. उसने करीब 30 साल तक बदला लेने का इंतजार किया. करीब तीन दशक बाद गत 7 जनवरी 2023 को सूर्यप्रताप और धर्मप्रताप ने पुष्कर के एक रिसोर्ट में पहुंचकर सवाई सिंह पर बंदूक से फायरिंग कर दी, जिससे उसकी मौत हो गई.
कानून से न्याय की उम्मीद
वारदात के बाद सूर्यप्रताप सिंह की पत्नी नीमा सिंह ने मीडिया से बातचीत में कहा कि आरोपियों ने 32 साल की उम्र में मदन सिंह की हत्या कर दी गई थी. अगर उस वक्त आरोपियों को सजा मिल जाती, तो यह अपराध नहीं होता. कोई भी अपराधी मां के पेट से अपराध करना नहीं सीखता है. हालात उसे अपराधी बनने पर मजबूर करते हैं. उन्होंने कहा कि हमें फख्र है कि पिता का बदला ले रहे हैं, हालांकि यह कानूनी तौर पर गलत है. हमें न्याय मिलना चाहिए, हम अच्छे परिवार से हैं.
तीस साल पहले की फाइल उठाकर देखें, असली आरोपी कौन है. सूर्यप्रताप के परिवार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ से अपील है कि वे अजमेर के ब्लैकमेल कांड की फाइल खोलें और उसमें शामिल दोषियों को सजा दिलाएं. जघन्य ब्लैकमेल कांड के आरोपियों को आज तक सजा नहीं मिली और वो खुलेआम घूम रहे हैं.
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