Ajmer News: राजस्थान के अजमेर में 68वां वन्य जीव संरक्षण सप्ताह मनाया जा रहा है. इसकी शुरुआत जवाहर रंगमंच में विधायक वासुदेव देवनानी और संभागीय आयुक्त बी.एल. मेहरा ने की. देवनानी ने वन्य जीवों के प्रति नई पीढ़ी को जागरूक करने पर जोर दिया. संभागीय आयुक्त मेहरा ने वन्य जीवों में अनुशासन की भावना होने की बात कही. संभागीय आयुक्त बी.एल. मेहरा ने कहा कि वन के पशु अधिक अनुशासित होते हैं. वे प्रकृति द्वारा बनाए नियमों तथा अनुशासन में रहकर जीवन यापन करते हैं. वर्तमान में मानव प्रकृति के अनुशासन को तोड़ रहा है. इसलिए कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.
उन्होंने कहा कि हमारी संस्कृति सर्वे भवन्तु सुखिनः की अवधारणा पर कार्य करती है. यह किसी प्राणी को कष्ट नहीं देने की बात कहती है. जीवों को स्वाभाविक जीवन जीने की प्रेरणा देती है.
संभागीय आयुक्त बी.एल. मेहरा ने कहा कि वर्तमान में आर्थिक क्रियाकलाप बढ़ने से जीवों के आवास पर खतरा मंडराने लगा है. इससे उनके जीवन में व्यवधान होने लगा. वन्य जीव हमें शिक्षा प्रदान करते हैं. वन्य जीवों को सामान्य एवं स्वाभाविक जीवन जीने के लिए जन जागरूकता पैदा करने की आवश्यकता है. सरकार द्वारा बनाए गए कानूनों की पालना सभी को करनी चाहिए.
वन बचेंगे तो ही वन्य जीव बचेंगे
विधायक वासुदेव देवनानी ने कहा कि वन्य जीवों के प्रति नई पीढ़ी को जागरूक किया जाना चाहिए. इस प्रकार के आयोजनों से यह कार्य आसानी से हो पाता है. वन्य जीव वनों की रौनक है. इनसे वनों में जीवन का एहसास होता है. इसी कारण भारत में विलुप्त हो चुकी चीता प्रजाति को नामीबिया से मंगवाकर जंगलों में छोड़ा है. वन बचेंगे तो ही वन्य जीव बचेंगे. इसलिए वनों को बढ़ाने पर ध्यान दिया जाना चाहिए. पृथ्वी के पर्यावरण को संतुलित रखने में वनों का महत्व सर्वविदित है. उन्होंने वन्य जीव संरक्षण में भागीदारी निभाने का आह्वान किया.
नई पीढ़ी को वन्य जीव संरक्षण से जोड़ें
जिला कलेक्टर अंशदीप ने कहा कि नई पीढ़ी को वन्य जीव संरक्षण से जोड़ना चाहिए. इससे उनमें जंगल और जीवन से प्रेम विकसित होगा. मानव ने अपने स्वार्थ के लिए वन्य जीवों के क्षेत्रों पर अतिक्रमण कर लिया है. एसपी चूनाराम जाट ने कहा कि बच्चों को वन भ्रमण करवाकर प्रकृति से जोड़ना चाहिए. इससे बच्चों में सहिष्णुता का विकास होता है. डॉ. विवेक शर्मा ने पक्षियों की बाह्य संरचना के बारे में जानकारी प्रदान की. मुख्य संरक्षक विजय एन. ने नर्सरी तकनीक पर अपने विचार व्यक्त किए. कार्यक्रम में राष्ट्रीय सैनिक विद्यालय, मयूर स्कूल, केंद्रीय विद्यालय, सावित्री कॉलेज, डीएवी एवं भगवंत विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों ने भाग लिया.
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