Ajmer News: अजमेर के बहुचर्चित ब्लैकमेल कांड में कोर्ट का फैसला आ गया है. अदालत ने इस मामले में छह दोषियों को अजीवन कारावास की सजा सुनाई है. साथ ही इन पर पांच लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है. पॉक्सो स्पेशल कोर्ट संख्या दो ने ये फैसला सुनाया है. साल 1992 में कॉलेज छात्राओं के साथ गैंगरेप हुआ था, जिस पर आज कोर्ट ने सजा का ऐलान किया है. सभी आरोपियों को अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. स्कूली छात्राओं की आपत्तिजनक फोटो खींचकर ब्लैकमेल करने के मामले में अदालत ने फैसला सुनाया.
क्या है मामला
यह मामला 1992 का है जब कुल इसमें 18 आरोपी थे अब तक नौ को सजा सुनाई जा चुकी है और एक ने आत्महत्या कर ली है और एक फरार है. राजस्थान के अजमेर में 100 से ज्यादा स्कूली और कॉलेज की लड़कियों के साथ सामूहिक बलात्कार और ब्लैकमेलिंग शामिल थी. धार्मिक पर्यटन और गंगा-जमुनी संस्कृति के लिए मशहूर अजमेर की प्रतिष्ठा 1990-1992 के बीच इस घटना के कारण काफी खराब हुई थी. इस घटना से शिक्षा, संस्कृति और गरिमा में गिरावट सामने आई और पुलिस और कानून के भीतर भ्रष्टाचार को उजागर हुआ था.
अजमेर कांड पर अजमेर डायरी नाम की फिल्म भी बनी थी. जिसके बाद यह स्कैंडल एक स्थानीय समाचार पत्र के लेख के जरिए सामने आया था. जिसमें स्कूली छात्राओं की नग्न तस्वीरों का उपयोग करके ब्लैकमेल करके उनके यौन शोषण का खुलासा किया गया था. इसके लिए जिम्मेदार गिरोह धार्मिक, राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक क्षेत्रों में प्रभाव रखता था. इस खुलासे ने देशभर में हंगामा मचा दिया. इससे प्रदेश के सरकारी अधिकारियों, पुलिस और सामाजिक और धार्मिक संगठनों के सदस्यों में डर का माहौल पैदा हो गया.
अजमेर जिला पुलिस ने पाया कि अजमेर के सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह के खादिम परिवारों के कई युवा रईस इसमें शामिल थे. पुलिस को इस मामले में उच्च पदस्थ राजनेताओं और अधिकारियों पर भी संदेह था. शहर में शांति और व्यवस्था के लिए संभावित खतरों के कारण शुरू में कार्रवाई करने में हिचकिचाहट की वजह से पुलिस को काफी दबाव का सामना करना पड़ा.
छात्राओं के ब्लैकमेलर कैसे आज़ाद रह गए शीर्षक से छपे दूसरे समाचार लेख में स्पष्ट तस्वीरें भी थी. जिससे लोगों में आक्रोश और बढ़ गया. न्याय की मांग के साथ विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए. हिंदू संगठनों ने धमकी दी कि अगर अपराधियों के खिलाफ़ कानूनी कार्रवाई नहीं की गई तो वे मामले को अपने हाथ में ले लेंगे.
भारी दबाव के बीच अजमेर जिला बार एसोसिएशन ने स्थानीय अधिकारियों से मुलाकात की और प्रस्ताव रखा कि पहचाने गए संदिग्धों को राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत जेल भेजा जाए. ताकि लोगों का गुस्सा शांत हो और सांप्रदायिक तनाव को रोका जा सके. आखिरकार मामले की जांच के लिए सीआईडी सीबी को सौंप दिया गया.
राजस्थान में हुआ था आंदोलन
इस घटना के बाद पूरे राजस्थान में आंदोलन शुरू हो गया और पीड़ितों की गिरफ्तारी और न्याय की मांग की गई. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत समेत कांग्रेस नेताओं ने शोषण की निंदा की और जिम्मेदार लोगों को सजा देने की मांग की. उन्होंने भाजपा सरकार पर मामले की सीआईडी जांच कराने का दबाव बनाया.
स्कूली लड़कियों का किया शोषण
30 मई 1992 को सीआईडी सीबी ने आधिकारिक तौर पर जांच अपने हाथ में ले ली. इस घोटाले में खादिम चिश्ती के परिवार और यूथ कांग्रेस के सदस्यों सहित प्रभावशाली व्यक्ति स्कूली लड़कियों का शोषण कर रहे थे. फोटो लैब से लीक हुई स्पष्ट तस्वीरों ने इस अपराध की ओर ध्यान आकर्षित किया.
इस मामले की शुरुआत में अजमेर जिला पुलिस ने जांच की थी. बाद में वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी एनके पाटनी ने इसकी निगरानी की. इस मामले से जुड़े उत्पीड़न के कारण फोटो लैब के मालिक और मैनेजर समेत कई लोगों ने आत्महत्या कर ली. इस मामले में शामिल कई लड़कियों ने भी आत्महत्या कर ली.
100 से ज्यादा पीड़ितों द्वारा दशकों से न्याय की मांग करने के बावजूद कई अपराधियों को बरी कर दिया गया या जमानत पर रिहा कर दिया गया. यह मामला हाई कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट फास्ट ट्रैक कोर्ट POCSO कोर्ट सहित कई अदालतों में चला गया. लेकिन ज्यादातर पीड़ितों के लिए न्याय अब भी दूर की कौड़ी है. जो अब 50 या 60 के दशक में हैं.
बनी थी फिल्म
जुलाई में रिलीज हुई अजमेर 92 नामक फिल्म 250 लड़कियों के साथ रेप, ब्लैकमेल और जाल में फंसाने की सच्ची घटनाओं को दर्शाती है. इसका निर्देशन पुष्पेंद्र सिंह ने किया है. इसमें करण वर्मा और सुमित सिंह मुख्य भूमिका में हैं. अन्य को मुस्लिम संगठनों के विरोध का सामना करना पड़ा. खादिम समुदाय ने मानहानि का आरोप लगाया. जिसका असर राजस्थान के विधानसभा चुनाव में भी देखने को मिला.
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