Urs in Ajmer Sharif Dargah: अजमेर (Ajmer) में स्थित विश्व प्रसिद्ध गरीब नवाज हजरत ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह में 811वां उर्स 18 जनवरी को झंडे की रस्म निभाने के साथ शुरू होगा. भीलवाड़ा (Bhilwara) का गौरी परिवार 79वीं बार दरगाह स्थित बुलंद दरवाजे पर झंडा चढ़ाने की रस्म निभाएगा. उर्स में दरगाह शरीफ (Dargah Sharif Ajmer) आने वाले जायरीनों के लिए जिला प्रशासन और दरगाह कमेटी मेंबर सभी इंतजाम करने में जुटे हैं. इस साल उर्स (Ajmer Urs 2023) में 2 से 3 लाख जायरीन और 4 हजार से ज्यादा वाहन आने की उम्मीद जताई जा रही है. सुरक्षा के लिए 2 हजार से ज्यादा पुलिसकर्मी तैनात किए जाएंगे.


बरसों से चली आ रही यह परंपरा
गरीब नवाज के उर्स मेले में झंडा चढ़ाने की रस्म भीलवाड़ा के लाल मोहम्मद गौरी के पोते फखरुद्दीन गौरी व सैयद मारूफ अहमद साहब की सदारत में अदा की जाएगी. विश्व प्रसिद्ध उर्स में झंडा चढ़ाने की रस्म बरसों पुरानी है. वर्ष 1928 में पेशावर के हजरत सैयद अब्दुल सत्तार बादशाह जान रहमतुल्ला अलैह ने इस परंपरा की शुरूआत की थी. इसके बाद 1944 से भीलवाड़ा के लाल मोहम्मद गौरी का परिवार यह रस्म निभा रहा है. लाल मोहम्मद ने 1944 से 1991 तक यह रस्म निभाई थी. उनके बाद मोईनुद्दीन गौरी ने 2006 तक झंडा चढ़ाया. अब फखरुद्दीन गौरी अपने पुरखों की परंपरा को निभा रहे हैं.


सूफियाना कलाम और 25 तोपों की सलामी
18 जनवरी को अजमेर में असर की नमाज के बाद दरगाह गेस्ट हाउस से झंडे का जलसा रवाना होगा. यह जुलूस लंगर खाना गली व निजाम गेट से गुजरते हुए दरगाह शरीफ पहुंचेगा. यहां से दरगाह के बुलंद दरवाजे पर झंडा चढ़ाया जाएगा. उर्स का झंडा चढ़ाने की रस्म के दौरान सूफीयाना कलाम व 25 तोपों की सलामी होगी. झंडा चढ़ाने के लिए भीलवाड़ा का गौरी परिवार 16 जनवरी को अजमेर पहुंचेगा.


मजार पर चढ़ती है कई देशों की चादर
उर्स के दौरान कई देशों से ख्वाजा की मजार पर चादर लाई जाती है. पाकिस्तान का जत्था भी चादर लेकर अजमेर पहुंचता है. देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व अन्य नेता भी अपनी तरफ से चादर भेजते हैं.


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