Rajasthan Court News: बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता अजय देवगन को अजमेर की कंज्यूमर कोर्ट से सोमवार को बड़ी राहत मिली है. कोर्ट ने 'दे दे प्यार दे' फिल्म के पोस्टर को लेकर अजय देवगन के खिलाफ दायर केस पर फैसला सुनाते हुए उन्हें निर्दोष बताया है. अजमेर के दर्शक तरुण अग्रवाल ने फिल्म के पोस्टर में दिखाए गए स्टंट सीन को फिल्म में नहीं दिखाने से खफा होकर वर्ष 2019 में देवगन के खिलाफ केस किया था. कोर्ट ने फिल्म में स्टंट नहीं दिखाने का जिम्मेदार अजय देवगन को नहीं माना. साथ ही परिवाद से उनका नाम हटाने के आदेश भी दिए हैं.
परिवादी ने क्या मांग की थी
अजमेर निवासी परिवादी तरुण अग्रवाल ने वर्ष 2019 में उपभोक्ता आयोग में एक परिवाद प्रस्तुत किया था जिसमें उसने कहा कि वह लव प्रोडक्शन निर्मित मूवी 'दे दे प्यार दे' के पोस्टर में बताए गए स्टंट सीन को देखकर फिल्म देखने गया था, लेकिन फिल्म के पोस्टर में बताया गया सीन फिल्म में नहीं था. परिवादी ने इसके लिए लव फिल्मस प्रोडक्शन, अभिनेता अजय देवगन और अजमेर के माया मंदिर सिनेमा को गलत विज्ञापन दिखाने के लिए जिम्मेदार बताते हुए खंडन जारी करने, भविष्य में ऐसे भ्रामक विज्ञापन जारी नहीं करने और गलत विज्ञापन और अनुचित व्यापार व्यवहार से उसे पहुंची मानसिक एवं आर्थिक क्षति के बतौर 4 लाख 51 हजार रुपए और परिवाद खर्च के 11 हजार दिलाने की मांग की थी.
अजय देवगन ने क्या कहा था
परिवादी की ओर से नोटिस मिलने के बाद फिल्म अभिनेता अजय देवगन ने वकील अमित गांधी और प्रांजुल चोपड़ा के जरिए उपभोक्ता आयोग में एक प्रार्थना पत्र प्रस्तुत कर उसे परिवाद में से हटाने की प्रार्थना की थी. अभिनेता अजय की ओर से तर्क दिया गया था कि उन्होंने 'दे दे प्यार दे' फिल्म में केवल मात्र अभिनय किया है. फिल्म के प्रचार-प्रसार के लिए वह जिम्मेदार नहीं है. उन्हें अनुचित रुप से पक्षकार बनाया है. अभिनेता ने यह भी तर्क दिया कि परिवादी ने प्रतिफल देकर उससे किसी प्रकार की सेवाएं नहीं ली है, इसलिए परिवादी उनका उपभोक्ता नहीं है. देवगन के वकील का तर्क था कि भ्रामक विज्ञापन के लिए परिवादी को केंद्रीय उपभोक्ता प्राधिकरण में शिकायत करनी चाहिए थी.
परिवादी ने दिया था यह तर्क
परिवादी का तर्क था कि अभिनेता अजय देवगन को पता था कि यह दृश्य फिल्म में नहीं है, उसके बावजूद पोस्टर को फिल्म के मुख्य विज्ञापन के तौर पर सोशल मीडिया और अन्य प्लेटफार्म पर प्रचारित किया, इसलिए वह भ्रामक विज्ञापन के लिए जिम्मेदार हैं. उपभोक्ता आयोग अजमेर के अध्यक्ष रमेश कुमार शर्मा और सदस्य दिनेश चतुर्वेदी ने दोनों पक्षों की बहस सुनकर अपने निर्णय में लिखा कि अजय देवगन केवल अभिनेता मात्र हैं. संबंधित फिल्म में कौन सा सीन रखना है, कौन सा काटना है, किस प्रकार के होर्डिंग लगाने हैं, किस प्रकार अखबार में उसका विज्ञापन प्रकाशित कराना है, इन सब बातों के लिए फिल्म अभिनेता जिम्मेदार नहीं हैं. परिवादी ने उन्हें बिना आधार के पक्षकार बनाया है.
आयोग ने सुनाया यह फैसला
आयोग ने फैसला सुनाते हुए लिखा कि, अभिनेता अजय देवगन का प्रार्थना पत्र स्वीकार कर उन्हें परिवाद में से पक्षकार के बतौर हटाए जाने के आदेश दिए जाते हैं. आयोग ने 14 दिन के भीतर परिवादी को संशोधित परिवाद शीर्षक प्रस्तुत करने के आदेश भी दिए हैं.
अजय कई बार आए हैं अजमेर
बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता अजय देवगन कई बार अजमेर भी आए हैं. वे यहां ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में बतौर जायरीन इबादत करने और फिल्म की सफलता के लिए कामना करने आए थे. आखिरी बार 4 नवंबर 2019 को अपने बेटे युग के साथ आए थे.
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