Ajmer Sharif Dargah News: राजस्थान के अजमेर में स्थित ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की लोकप्रिय दरगाह के शिव मंदिर होने का दावा किया जा रहा है, जिसको लेकर सिविल कोर्ट ने दरगाह कमेटी को नोटिस जारी किया था. दरअसल, एक हिन्दू संगठन ने कोर्ट में याचिका दायर कर यह दावा किया था कि ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह में मंदिर के अवशेष हैं. याचिका मंजूर करते हुए सिविल कोर्ट ने दरगाह कमेटी से इस पर 20 दिसंबर तक जवाब मांगा है.
बता दें, दरगाह कमेटी समेत अल्पसंख्यक मामलात मंत्रालय और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) विभाग को भी नोटिस जारी किया गया है. दरगाह कमेटी ने बताया है कि कोर्ट द्वारा जारी किया गया यह नोटिस 30 पन्नों का है.
20 नवंबर को तीनों पक्ष देंगे जवाब
अब दरगाह कमेटी की ओर से बताया जा रहा है कि कोर्ट के नोटिस के जवाब में अजमेर शरीफ के इतिहास और साल 1950 की सर्वे रिपोर्ट सहित कई दस्तावेज पेश करने की तैयारी की जा रही है. दावे को लेकर सिविल न्यायालय में 20 दिसंबर को तीनों पक्ष अपनी बात रखेंगे.
पूर्व नौकरशाहों ने पीएम मोदी को लिखा पत्र
गौरतलब है कि राजस्थान की एक स्थानीय अदालत की ओर से अजमेर शरीफ दरगाह के सर्वेक्षण का आदेश देने के कुछ दिनों बाद पूर्व नौकरशाहों और राजनयिकों के एक समूह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर उन सभी 'अवैध और हानिकारक' गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए हस्तक्षेप करने की मांग की है, जो भारत की सभ्यतागत विरासत पर 'वैचारिक हमला' हैं और एक समावेशी देश के विचार को विकृत करती हैं.
जानकारी के लिए बता दें कि हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता द्वारा यह दावा किया गया था कि अजमेर शरीफ दरगाह मूल रूप से एक शिव मंदिर था. इस पर सिविल कोर्ट ने बीते 27 नवंबर को अजमेर दरगाह समिति, केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को नोटिस जारी किया था.
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