Surya Namaskar in Rajasthan School: राजस्थान में सभी सरकारी-गैर सरकारी स्कूलों में सूर्य नमस्कार शुरू किया गया है. जिसको लेकर कुछ मुस्लिम नेताओं की तरफ से विरोध किया जा रहा है तो वहीं अजमेर दरगाह के दीवान जैनुअल आबेदीन अली खान ने कहा कि सूर्य नमस्कार को किसी धर्म से जोड़कर नहीं देखना चाहिए. इसे सरकार की तरफ से किसी प्रक्रिया के तहत शुरू किया गया है. सभी अपने अपने तरीके से धर्म मानते हैं तो इसमें हर्ज ही क्या है.

उन्होंने कहा कि हर एक मामले पर टिप्पणी नहीं होनी चाहिए. हमें देश में एकता अखंडता की बात करनी चाहिए चाहिए. वो हिजाब का मेटर हो या फिर सूर्य नमस्कार , हमें हमारे देश जो की 21वी सदी की ओर बढ़ रहा है, देश की हुकूमत ने भारत को विकसित बनाने का संकल्प लिया है. हमें उसमें मदद करनी चाहिए ना कि हमें इन चीजों में उलझ कर रह जाना चाहिए. देश में सकारात्मक सोच की जरूरत है. सब को एक साथ मिलकर इसमें योगदान करना चाहिए ताकि हमारा देश आगे बढ़ सके.

 

दरगाह और आस्ताने हमेशा से ही हिंदू मुस्लिम एकता का और मोहब्बत और अमन का पैगाम देती रही हैं. उसमें मोहब्बतन काम किया है और हिंदुस्तान की संस्कृति है. जो दरगाह है, ऐसी जगह है जहां हर मजहब का आदमी आता है. अपने अकीदत का नजराना पेश करता है और अपनी श्रद्धा सुमन अर्पित करता है. आज जो दौर आ गया उसमें धर्म के नाम पर राजनीति चलाई जा रही है. हमे उन लोगों के बहकावे नहीं आना चाहिए, जो धर्म के नाम पर खुद की राजनीति करते हैं और धर्म के नाम पर आपस में लड़ाने की बात करते हैं. हम सब हिंदुस्तानी हैं ऐसी सोच को बंद करें. हमारी पहचान गंगा जमुनी तहजीब हिंदुस्तान की पहचान है. जोकि दुनिया में मानी जाती है. आज हिंदुस्तान दुनिया में विश्व गुरु बनने जा रहा है तो हमें उसी सोच पर चलना चाहिए. अपने अपने धर्म पर आप कायम रहें. अपने अपने मजहब के धर्म को माने. जब भी आप अपने घर और कमरे की दहलीज से बाहर आए तो हिंदुस्तानी बन कर निकले.

 

यहां है गरीब नवाज के बड़े बेटे का मजार

 

भीलवाड़ा जिला मुख्यालय से मात्र 15 किलोमीटर की दूरी पर मेजा रोड स्थित रोशन टेकरी पर ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती गरीब नवाज अजमेरी के बड़े साहबजादे फखरुद्दीन चिश्ती सूफी संत की मजार शरीफ बनी हुई है. यहां सालाना उर्स होता है, जिसमें अजमेर शरीफ से चादर लाई जाती है. हजरत सूफी फखरुद्दीन चिश्ती का 661 ईस्वी में पर्दा हुआ था.  यहां मांडल में दरगाह शरीफ पर उर्स के दौरान शाम को कव्वाली कार्यक्रम आयोजित किया जाता हैं और दूसरे दिन सुबह कुल की रस्म अदायगी होती है. ये दरगाह हिंदू मुस्लिम एकता की मिसाल है. यहां हर धर्म के लोग अपनी मन्नत लेकर आते हैं और इबादत करते हैं.



भीलवाड़ा जिले के मांडल मेजा मार्ग पर स्थित रोशन टेकरी पर ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती के बड़े पुत्र फखरुद्दीन चिश्ती की दरगाह बनी हुई है. जिस पर हर वर्ष 3 दिवसीय उर्स का आयोजन किया जाता है. इस उर्स में पहले दिन चादर मोमिन मस्जिद से ले जाई जाती है. वहीं दूसरे दिन अजमेर दरगाह के दीवान जैनुअल आबेदीन अली खान स्वयं चादर लेकर मांडल आते हैं और कस्बे की मोमिन मस्जिद से चादर चढ़ाई जाती है. साथ ही ग्रामीणों की तरफ से भी चादर पेश की जाती है. इसी के साथ शाम को कव्वाली होती है.  यहां मिलाद शरीफ का भी आयोजन किया जाता है. तीसरे दिन कुल की रस्म अदायगी की जाती है.


(सुरेंद्र सागर की रिपोर्ट)


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