Urs in Ajmer Sharif Dargah : राजस्थान (Rajasthan) की धार्मिक नगरी अजमेर (Ajmer) में स्थित विश्व प्रसिद्ध गरीब नवाज हजरत ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती (Khwaja Moinuddin Chishti) की दरगाह में 811वें उर्स की शुरुआत हो गई है. प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) आगामी 27 जनवरी को अजमेर उर्स (Ajmer Urs 2023) में शिरकत करने पहुंचेंगे. वे यहां ख्वाजा की मजार पर कांग्रेस नेता सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) की तरफ से भेजी गई चादर पेश करेंगे. शुक्रवार को जुमे की नमाज के बाद सीएम के दरगाह पहुंचने का कार्यक्रम है. उर्स के दौरान जिला प्रशासन अलर्ट है.
जिला प्रशासन ने पेश की चादर
उर्स के मौके पर सोमवार को अजमेर जिला प्रशासन ने मजार पर चादर पेश की. संभागीय आयुक्त बीएल मेहरा, अजमेर रेंज आईजी रूपिंदर सिंह (IG Rupindar Singh), जिला कलेक्टर अंशदीप (IAS Anshdeep), एसपी चुनाराम जाट, एडिशनल एसपी वैभव शर्मा, विकास सांगवान, प्रियंका रघुवंशी समेत अन्य प्रशासनिक अधिकारी चादर और अकीदत के फूल लेकर दरगाह पहुंचे. दरगाह में जियारत कर उर्स के शांतिपूर्ण संपन्न होने और सांप्रदायिक सौहार्द कायम रखने की दुआ मांगी.
जनार्दन रेड्डी ने परिवार सहित की जियारत
कर्नाटक (Karnataka) के पूर्व मंत्री जी. जनार्दन रेड्डी (G. Janardhan Reddy) ने भी सोमवार को अपने परिवार सहित दरगाह पर जियारत की. रेड्डी ने ख्वाजा के दर पर मत्था टेका और मजार पर अकीदत के फूल और चादर पेश कर दुआ मांगी. उन्होंने कहा कि देश के वर्तमान हालात को देखते हुए उन्होंने कर्नाटक में नई पॉलिटिकल पार्टी बनाई है. उन्हें खुशी है कि कल्याण राज्य प्रगति पक्ष नाम से बनाई इस पार्टी को युवाओं और आमजन का समर्थन मिल रहा है. वे इस पार्टी के जरिए अपने अधूरे सपने पूरा करना चाहते हैं.
26 जनवरी को पेश होगा बसंत
सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल अजमेर दरगाह (Dargah Sharif Ajmer) में उर्स के दौरान 26 जनवरी को बसंत पंचमी पर्व मनाया जाएगा. मजार शरीफ पर बासंती फूल पेश किए जाएंगे. इस दौरान सालाना उर्स में आने वाले अकीदतमंद भी मौजूद रहेंगे. बसंत का जुलूस दरगाह के मुख्य द्वार निजाम गेट से रवाना होगा. पीले रंग के लिबास पहने सूफी कव्वाल और उनके साथी हाथों में पीले फूलों का गुलदस्ता लिए मजार तक पहुंचेंगे. इस मुबारक मौके पर दरगाह में पीले रंग के फूलों से आकर्षक सजावट की जाएगी. दरगाह आने वाला हर शख्स पीले रंग की पोशाक और पीली पगड़ी पहने दिखाई देगा. बसंत पेश करने की यह परंपरा करीब 800 साल पुरानी बताई जाती है.