Akshaya Tritiya 2022: मंगलवार को अक्षय तृतीया पर्व धूमधाम से मनाया गया. इस खास दिन ठाकुरजी के मंदिरों में भक्तों ने भगवान के चरण दर्शन किए. साल में एक बार होने वाले चरण दर्शन के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु ब्यावर में भगवान गोवर्धननाथजी और बांकेबिहारीजी के मंदिर पहुंचे. मान्यता है कि अक्षय तृतीया के दिन भगवान के चरण दर्शन करने से मनोकामना पूरी होती है.


ऐसे शुरू हुई चरण दर्शन परंपरा
अक्षय तृतीया पर्व पर बांकेबिहारीजी सुबह राजा के वेश में दर्शन देते हैं. मान्यता है कि जब बांकेबिहारीजी को स्वामी हरिदास ने प्रगट किया, तब उनकी राग सेवा के लिए आर्थिक दिक्कत आने लगी. इसके बाद बांकेबिहारीजी हर दिन स्वामी हरिदास को अपने चरणों में एक स्वर्ण मुद्रा दिया करते थे. तभी से उनके चरण दर्शन के अवसर पर राजा के वेश में दर्शन कराए जाते हैं. शाम को बांकेबिहारीजी के चंदन का लेपन कर सर्वांग दर्शन होते हैं.
पैजनियां पहनकर श्वेत वस्त्रों में सजे श्रीनाथजी
अक्षय तृतीया के मौके पर ब्यावर में भगवान गोवर्धननाथजी को श्वेत वस्त्रों से सुसज्जित किया गया. लाल साज, सफेद ठाडा वस्त्र, उपर्णा, धोती, मस्तक पर कुलेह, गले में मोतियों का कंठा, मालाएं और पवित्रा, कानों में कुंडल, मस्तक पर सिरपेच, चरणों में पैजनिया पहनाई है. वल्लभकुल संप्रदाय के नियम अनुसार ठाकुरजी को खिचड़ा, फली की सब्जी, चने की दाल, ककड़ी, खरबूजा और आम का भोग लगाया. जल का कुंजा भरा. इत्रदानी, गुलाब दानी और ठंडी मटकी भरकर रखी. प्रभु के प्रिय हाथी, घोड़े व गाय भी समक्ष रहे.
ठंडक देने वाले व्यंजन किए अर्पित
वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मंदिर-देवालयों में ठाकुरजी को शीतलता देने के उद्देश्य से मलयागिरि चंदन लगाया गया है. इसके साथ ही विभिन्न प्रकार के शीतल पेय पदार्थ और फल आदि का भोग धराया है. ठाकुरजी को अर्पित किए जाने वाले चंदन को कई दिन पहले से ही तैयार किया जाता है. शुद्ध चंदन काष्ठ के साथ केसर, कपूर, खस के इत्र को गुलाब जल मिलाकर घिसा जाता है. काफी मेहनत के साथ मलयागिरि चंदन के गोले तैयार किए जाते हैं.


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