Alwar News: अलवर के राजगढ़ में गिराए गए 300 साल पुराने शिव मंदिर का जानिए इतिहास, क्यों खास था मंदिर?
Rajashtan News: शिव मंदिर के महत्व और इतिहास को जानने के लिए हमने एक इतिहासकार से बात की. इस 300 साल प्रचीन शिव मंदिर में क्या खास है इसके बारे में इतिहासकार ने बताया.
Alwar Shiv Mandir: राजस्थान का नाम सुनते ही वहां की खुबसूरती, संस्कृति, रेगिस्थान की मिट्टी, तपती हुई धूप और बड़े-बड़े किले और हवेलियां नजर आने लगती हैं. यहां के शहरों का अपना एक अलग ही इतिहास रहा है. यही कारण है कि जो भी यहां आता है, वह यहीं का हो जाता है. राजस्थान में जोधपुर, उदयपुर, जैसलमेर, जयपुर और अलवर सबसे प्रसिद्ध शहरों में से एक हैं. लेकिन राजस्थान में बसा हुआ अलवर शहर बेहद खास है. यह राजस्थान के उत्तर पूर्व में अरावली की पहाड़ियों पर बसा हुआ एक खूबसूरत शहर है.
300 साल पुराना था मंदिर
अलवर शहर राजस्थान के सबसे पुराने शहर में से एक है. यह शहर राजपूतों का प्रतिनिधित्व करता है. इस शहर की परंपराओं का पता विराटनगर के क्षेत्र में लगाया जा सकता है, जो लगभग 1500 ईसा पूर्व पुराना है. अलवर में आपको कई प्रसिद्ध किले देखने को मिलेंगे. इसके अलावा यहां हजारों की संख्या में मंदिर भी मौजूद हैं. बता दें कि हाल ही में अलवर के राजगढ़ में स्थित भगवान शिव के मंदिर के ढांचे को गिराया जा चुका है. यह मंदिर करीब 300 साल पुराना था.
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मंदिर प्रताप सिंह-भक्तावर सिंह के समय में बना-इतिहासकार
अलवर के राजगढ़ में स्थित 300 साल पुराने शिव मंदिर के बारे में कुछ खास बातें आप भी जानिए लीजिए. इस मंदिर का महत्व और इतिहास जानने के लिए हमने एक इतिहासकार से बात की. इस 300 साल प्रचीन शिव मंदिर में क्या खास है इसके बारे में इतिहासकार ने बताया. बता दें कि अलवर के राजगढ़ में भगवान शिव को समर्पित एक मंदिर था. राजगढ़ में स्थित यह शिव मंदिर करीब 300 साल पुराना था. यह मंदिर प्रताप सिंह और भक्तावर सिंह के समय में बनाया गया था. इस मंदिर ने समय और इतिहास की मार सही है. लेकिन आज भी यह मंदिर स्थानीय लोगों की आस्था का केंद्र है. इसके अलावा पुरात्तव के लिहाज से भी यह मंदिर खास रहा है. यह मंदिर शिव भगवान के परिवार को समर्पित था.
मंदिर में शिव परिवार की मूर्तियां स्थापित थीं
इस मंदिर में मां पार्वती, कार्तिकेय और गणेश जी की मूर्ति स्थापित थीं. जिसके कारण यह मंदिर राजगढ़ के लोगों के बीच काफी प्रसिद्ध था. लेकिन इस 300 साल प्राचीन शिव मंदिर का ढांचा गिराया दिया गया, मंदिर में स्थानीय लोग पूजा करने जाते थे. सावन के महीने में इस मंदिर में अलग रौनक देखने को मिलती थी. ऐसा इसलिए क्योंकि सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस महीने में भगवान शिव का अपनी माता सती से पुर्नमिलन हुआ था.