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Alwar News: पिता की मौत के बाद मां कहीं चली गई, हिंदू बेटी की मुस्लिम समाज के लोगों ने अदा की भात की रस्म

Alwar News: सोमवार को मवखेड़ा गांव में चंदा का विवाह होना तय था. चंदा के दादा सुखराम जाटव को ही उसके हाथ पीले करने की जिम्मेदारी उठानी थी. रीति के अनुसार भात की रस्म अदा होनी थी.

Alwar News: देश के पिछले कुछ दिनों से कई हिस्सों में धर्म के नाम पर विवाद होता देखा गया है. कहीं धार्मिक झंडे लगाने को लेकर दो समुदाय आमने-सामने हुए तो कहीं हनुमान चालीसा और नमाज पढ़ने के नाम पर राजनीति देखी जा रही है. राजस्थान (Rajasthan) में भी कई इस तरह के कई मामले सामने आ चुके हैं. इस बीच राज्य के अलवर (Alwar) के रामगढ़ (Ramgarh) में हिन्दू-मुस्लिम एकता और सौहार्द का मिसाल देखने को मिला है. दरअसल मवखेड़ा गांव में एक हिन्दू परिवार की बेटी की शादी थी, जिसके मां-बाप मौजूद नहीं थे और मामा भी नही पहुंचे तो मुस्लिम समाज के लोगों ने भात की रस्म अदा की.
 
सोमवार को मवखेड़ा गांव में चंदा का विवाह होना तय था. चंदा के दादा सुखराम जाटव को ही उसके हाथ पीले करने की जिम्मेदारी उठानी थी. रीति के अनुसार भात की रस्म अदा होनी थी. किसी तरह बिना माता-पिता की इस बेटी का विवाह सुनिश्चित होने की जानकारी अंजुमन शिक्षा समिति रामगढ़ तक पहुंची. इसके बाद समिति के अध्यक्ष नसरू खान के नेतृत्व में मुस्लिम समाज के लोग भात भरने चंदा के घर पहुंचे और यह रस्म अदा की गई.

Alwar News: पिता की मौत के बाद मां कहीं चली गई,  हिंदू बेटी की मुस्लिम समाज के लोगों ने अदा की भात की रस्म
 
परिवार में थी मायूसी
 
रामगढ़ हमेशा से धार्मिक कट्टरता के लिए जाना जाता है. वहां यह मामला हिन्दू-मुस्लिम सद्भावना की मिसाल बन कर सामने आई है. बारात आने से पहले दरवाजे पर भात भरने पहुंचे मुस्लिम समाज के दर्जनों लोगों को देखकर बेटी के परिवार की आंखें छलक उठीं. पूरी हिंदू रीति से भात भरने पहुंचे मुस्लिम समाज के लोगों का दरवाजे पर बहनों की तरह महिलाओं ने तिलक लगाकर स्वागत किया. भात के रूप में 22,400 रुपये नकदी और सामान सहित पूरे हिन्दू रीति के अनुसार पहरावणी भी मुस्लिमों ने की. इससे पहले चंदा के ननिहाल पक्ष से भी कोई नहीं आने वाला था, जिससे उसके दादा सुखराम जाटव और परिवार में मायूसी थी, लेकिन मामा के तौर पर आए मुस्लिम समाज को लोगों ने भात की रस्म अदा की.
 
दादा ने मजदूरी कर शादी के लिए जुटाए थे पैसे
 
ग्रामीणों ने बताया चंदा के पिता की काफी समय पहले मौत हो गई थी, उसके बाद मां भी कहीं चली गई. दादा सुखराम ने चंदा और उसके भाई का पालन-पोषण किया. मजदूरी कर जुटाई गई पूंजी से पोती चंदा के विवाह का इंतजाम कर रहे थे. इस दौरान भात की रस्म में मुस्लिम समाज के लोगों की मदद भी सुखराम के लिए महत्वपूर्ण थी. भात भरने के दौरान अंजुमन शिक्षा समिति अध्यक्ष रामगढ़ प्रधान नसरू खान, शौकत सरपंच बंजीरका, रज्जाक खान सरपंच, गुरबख्श, कोमल सरपंच अलावड़ा, राम खिलाड़ी मीणा, डॉ. इस्लाम खान, पप्पू खान, सप्पू खान, मजलिस खान और हरीश कुमार सहित मुस्लिम समाज के कई लोग मौजूद रहे.
 
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