राजस्थान (Rajasthan) के अलवर (Alwar) में राजगढ़ में मास्टर प्लान के नाम पर की गई कार्रवाई पर सात दिन बाद सरकार ने बीजेपी के नगर पालिका राजगढ़ सभापति सतीश दुहारिया, एसडीएम केशव कुमार और नगर पालिका ईओ बनवारी लाल को निलंबित कर दिया है. सभापति ने सरकार के इस निलंबन की कार्रवाई के खिलाफ हाईकोर्ट जाने का फैसला लिया है. उधर बीजेपी ने इस पूरे मामले में कांग्रेस के विधायक जोहरीलाल मीणा को जिम्मेदार बताते हुए उनके निलंबन की मांग की है.
क्या था मामला
राजगढ़ के सराय बाजार में सड़क चौड़ी करने के मामले में नगर पालिका प्रशासन द्वारा की गई कार्रवाई में करीब सौ से ज्यादा दुकानों-मकानों सहित तीन मंदिरों को भी तोड़ दिया गया. इसके बाद यह मामला पूरे देश में सुर्खियां बन गया. इस मामले में सियासत भी खूब हुई. दोनों राजनीतिक दलों ने एक दूसरे पर आरोप लगाए. नगर पालिका में बोर्ड बीजेपी का है इसलिए कांग्रेस ने इसे बीजेपी की कार्रवाई बताया तो बीजेपी ने स्थानीय विधायक और सरकार के दबाव में प्रशासनिक कार्रवाई बताया.
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एसपी-कलेक्टर पहुंचे
इस पूरे मामले में सरकार ने भी इसकी तथ्यात्मक रिपोर्ट मांगी. सोमवार को जिला कलेक्टर नकाते शिवप्रसाद और एसपी तेजस्विनी गौतम भी राजगढ़ पहुंचे और तोड़े गए मकानों-दुकानों सहित मंदिरों का मौका मुआयना किया. यहां पीड़ित लोगों ने एसपी और कलेक्टर के सामने जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ आक्रोश जताया. एसपी और कलेक्टर ने नगरपालिका में बैठकर मन्दिर के पुजारियों और पीड़ित लोगों की बात को सुना.
क्या कार्रवाई हुई
वहीं शाम को सरकार ने नगर पालिका राजगढ़ के सभापति सतीश दुहारिया, एसडीएम केशव कुमार और नगर पालिका अधिशासी अधिकारी बनवारी लाल को निलंबित कर दिया. इस मामले में सभापति सतीश दुहारिया का कहना है कि उनके निलंबन की कार्रवाई गलत है, उनके बोर्ड ने कोई मन्दिर तोड़ने का प्रस्ताव नहीं लिया. इस मामले में वे सरकार के खिलाफ हाईकोर्ट जाएंगे.
बीजेपी ने क्या कहा
वहीं बीजेपी के अलवर प्रभारी सीकर विधायक और जिलाध्यक्ष संजय नरुका ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर राजगढ़ विधायक जौहरी लाल मीणा को जिम्मेदार बताते हुए उनके निलंबन की मांग की है.