Rajasthan Assembly Elections: राजस्थान में इस साल होने वाले विधानसभा चुनावों का बिगुल बज चुका है सभी राजनीतिक पार्टियां अब अपनी-अपनी जीत का गणित बैठाने की जुगत में लग गई हैं. प्रदेश की मुख्य दोनों पार्टियों कांग्रेस और बीजेपी की नजर पूर्वी राजस्थान पर टिकी है. दोनों ही पार्टियां पूर्वी राजस्थान के भरतपुर संभाग से जीत कर सरकार बनाने की कोशिश में लगी हुई हैं. 


गढ़ को बचाने की कोशिश में लगे गहलोत
 राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव की तरह पूर्वी राजस्थान में अपने गढ़ को बचाने और सभी सीटों पर जीत दर्ज करने की कोशिश में लगे हुये हैं. इसके लिए मुख्यमंत्री ने हाल-फिलहाल में भरतपुर के कई दौरे किये हैं. जिले में सरकार द्वारा चलाई गई जनकल्याणकारी योजनाओं का प्रचार-प्रसार भी जोर-शोर से किया जा रहा है. मुख्यमंत्री  गहलोत फिर से 1998 के चुनाव की तरह मिशन 156 की बात कर रहे हैं. 


भरतपुर संभाग में बीजेपी का हो गया था सूपड़ा साफ
गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव 2018 में भरतपुर संभाग में बीजेपी का सूपड़ा साफ हो गया था 19 सीट में से मात्र एक सीट पर भारतीय जनता पार्टी जीत पाई थी. इसीलिए भारतीय जनता पार्टी के बड़े नेताओं का फोकस पूर्वी राजस्थान के भरतपुर संभाग पर सबसे ज्यादा है. 


भारतीय जनता पार्टी का दावा- दो तिहाई बहुमत से बनाएंगे सरकार 
भारतीय जनता पार्टी भी पूर्वी राजस्थान में अपनी खोई हुई साख को बचाने की पूरी कोशिश में लगी है. पूर्वी राजस्थान में फरवरी के महीने में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस वे का उद्घाटन कार्यक्रम रखा गया था और पूर्वी राजस्थान की लगभग 31 विधानसभा सीटों को साधने की कोशिश की गई गई थी. कल भरतपुर में केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने संभाग के कार्यकर्ताओं से रूबरू होकर कार्यकर्ताओं में जान फूंकने का काम किया और उन्हें जीत का मंत्र दिया.


उन्होंने कहा कि  भारतीय जनता पार्टी जब जीतती है तो उसका श्रेय भी बूथ कार्यकर्ताओं को जाता है. अब देखने वाली बात होगी कि क्या अमित शाह के दौरे ने कार्यकर्ताओं में वाकई जोश फूंकने का काम किया है या नहीं. 


शाह के दौरे से की गई गुटबाजी को खत्म करने की कोशिश
काफी दिनों से चर्चा हो रही थी कि भारतीय जनता पार्टी में गुटबाजी है. पार्टी ने वसुंधरा राजे को अलग-थलग कर दिया है लेकिन अमित शाह के इस दौरे पर भारतीय जनता पार्टी की गुटबाजी को ख़त्म करने का भी प्रयास किया गया.


मंच पर सभी बड़े नेताओं को आगे की सीट पर बैठाया गया. अमित शाह के बूथ विजय संकल्प कार्यक्रम में प्रदेश के सभी बड़े नेताओं ने पहुंचकर एकजुटता का परिचय दिया लेकिन देखने वाली बात यह होगी कि क्या यह एकजुटता चुनावों में भी बनी रहेगी या कार्यकर्ता सम्मेलन में यह सिर्फ दिखावा है.


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