Rajasthan News: जयपुर से लगभग 200 किमी दूरी पर मेड़ता शहर है जो नागौर जिले में आता है. पूरे नागौर जिले में कोई भी लावारिस लाश होती है तो उसके लिए हर कोई अनिल थानवी को खोजता है, क्योंकि थानवी पिछले 22 सालों से अनवरत रूप से लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार कर रहे हैं. थानवी का मोबाइल नंबर नागौर जिले के हर थाने में चस्पा है. पिछले 22 साल में थानवी कुल 123 लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार कर चुके हैं. दाह संस्कार के बाद उन अस्थियों को लेकर अनिल हरिद्वार जाते हैं. वहां पर पूरा कर्मकांड करते हैं. थानवी का यह कारवां लगातार जारी है.


अब लावारिस लाशों के सबजेक्ट पर 'ला वास्ते' नाम की फिल्म आ रही है. यह फिल्म 26 मई को सिनेमाघरों में दस्तक देगी. एडिव प्रोडक्शंस के बैनर तले बनी इस फिल्म का टीजर भी रिलीज हो चुका है. फिल्म के निर्देशक सुदेश कनौजिया, निर्माता आदित्य वर्मा और सह निर्माता रोहनदीप सिंह का कहना है कि हम हमारे समाज में लावारिस लाशों की अनकही त्रासदी को दिखाते हुए एक अनूठी कहानी बड़े पर्दे पर लेकर आए हैं.


फिल्म और अनिल की कहानी एक जैसी
ला वास्ते फिल्म में एक बीटेक स्नातक युवक सत्यांश है जो लावारिस शवों को उठाता है. मेड़ता के अनिल थानवी भी पिछले 22 सालों से लावारिस लाशों को उठा रहे हैं. थानवी पेशे से वकील हैं और मेड़ता नगर पालिका के चेयरमैन भी रह चुके हैं. मगर, इस कार्य को अपना मिशन बना चुके हैं. शव किसी व्यक्ति या धर्म का हो उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता.


ठीक फिल्म का उद्देश्य भी लावारिस लाशों की खातिर लोगों को एकजुट करने का और समाज को जगाने का है. फिल्म में ओमकार कपूर, मनोज जोशी, बृजेंद्र काला, उर्वशी एस शर्मा, शुभांगी लतकर, आदित्य वर्मा और विकास गिरी मुख्य भूमिकाओं में नजर आएंगे.


कहां से शुरू हुई कहानी


अनिल थानवी की कहानी बहुत पुरानी है. थानवी बताते हैं कि मेड़ता के एक युवक की मद्रास में मौत हो गई थी. वह उसके केस के सिलसिले में मद्रास गए थे तो वहां पर पुलिस ने उसके शव को जला दिया था. यह बात थानवी ने आकर अपनी मां को बताई तो उन्होंने कहा कि बेटे अब तुम इसमें जुट जाओ. लावारिस लाशों का विधिवत अंतिम संस्कार करो. तभी से लगातार इस काम को किया जा रहा है.


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