Fire on Aravalli Mountain: उदयपुर में अरावली की एक पहाड़ी पर रविवार को आग लग गई. आग धीरे-धीरे अन्य पहाड़ियों को भी चपेट में ले लेगी. होली आते-आते अधिकतर पहाड़ियां आग की चपेट में घिर जाती हैं. माना जाता है कि आग होली से 10 दिन पहले शुरू हो जाती है. इस साल होली 8 मार्च को मनाई जाएगी. लेकिन 17 दिन पहले ही आग लगने की शुरुआत हो गई है.
झीलों की नगरी उदयपुर चारों तरफ पहाड़ियों से घिरी हुई है. देबारी उप सरपंच चंदन सिंह का कहना है कि अरावली की पहाड़ियों में हर साल आग लगती है. कहा जाता है कि आदिवासियों की मन्नत पूरी होने पर मगरा स्नान यानी पहाड़ी पर आग लगाई जाती है. आग हवा के कारण बढ़ती चली जाती है.
होली से 17 दिन पहले अरावली की एक पहाड़ी में आग
अधिकारी मानते हैं कि पतझड़ में पहाड़ों पर पेड़ों की पत्तियां टूटकर गिर जाती हैं और झाड़ियां भी सूख जाती हैं. सूखी पत्तियों में घर्षण होने के कारण हवा से आग फैल जाती है. पहाड़ियों पर आग बुझाने का वन विभाग के पास साधन नहीं है. पहाड़ियों की आग को आबादी क्षेत्र तक आने पर फायर ब्रिगेड काबू पा लेता है. पहाड़ी के ऊपरी हिस्से तक फायर ब्रिगेड पहुंच नहीं पाता है. ऊंचाई ज्यादा होने से दमकल का पहुंचना नामुमिक होता है.
वन विभाग के पास आग बुझाने का नहीं है उपकरण
वन विभाग के कर्मी हाथों से आग को काबू करते हैं. विश्व की सबसे प्राचीन अरावली पर्वत श्रृंखला 632 किलोमीटर में गुजरात, राजस्थान और दिल्ली तक फैली हुई है. मानसून में हरी चादर ओढ़े खूबसूरत दिखने वाली अरावली की पहाड़ियां आग में भी जलती हैं. कई वर्षों से अरावली की पहाड़ियां अग्नि स्नान कर रही हैं. आग के पीछे कई मान्यताएं जुड़ी हुई हैं. कई बार भीषण आग घरों तक पहुंच जाती है. प्रशासन आग लगने का समय आने से पहले अलर्ट हो जाता है.