Meerabai News: केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कवि-संत मीराबाई पर बयान को लेकर हुए विवाद के बाद माफी मांग ली है. उन्होंने कहा, ''साधना के शिखर पर विराजमान भक्त शिरोमणि मां मीरा के प्रति मेरे मन में अगाध श्रद्धा एव आस्था है. मेरे किन्ही शब्दों से मां मीरा के प्रति भक्ति व श्रद्धा भाव रखने वाले श्रद्धालुओं के मन में किसी भी प्रकार से ठेस पहुंची है तो मैं खेद व्यक्त करते हुए माफी मांगता हूं.''


बीजेपी के वरिष्ठ नेता मेघवाल ने कहा कि वह खुद मीराबाई के भजन गाते हैं और उनका अपमान कभी नहीं कर सकते क्योंकि वह उनके जीवन से प्रेरणा लेते हैं.


मेघवाल के किस बयान पर हुआ विवाद?


सोमवार (23 दिसंबर) को सीकर के पिपराली में श्री श्याम गोशाला में एक कार्यक्रम के दौरान मेघवाल ने कहा था, ''मीरा का जन्म मेड़ता में हुआ था और उनका विवाह चित्तौड़गढ़ में हुआ था. हम सब इतिहास में पढ़ते हैं कि मीरा के पति ने उनको तंग किया. ऐसा नहीं है... मीरा के पति विवाह के बाद एक साल जिंदा रहे.''


उन्होंने आगे कहा, ''मीरा के पति की मृत्यु होने के बाद उनके देवर शासक बने. उन्होंने मीरा से कहा कि मुझसे शादी कर लो, तो यहां से झगड़ा शुरू हुआ. उन्हें तंग करने वाला उनका देवर था. इतिहास में कुछ चीजें अलग तरीके से लिखी होती हैं.''


विपक्ष ने घेरा


उनके इस बयान की खूब आलोचना हुई. पूर्व मंत्री और कांग्रेस के नेता प्रताप सिंह खाचरियावास ने इस बयान को अपमानजनक बताया. उन्होंने कहा, ''भक्त शिरोमणि मीरा के लिए गलत बोलकर केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम ने महापाप किया है , परिणाम भुगतने को तैयार रहे मंत्री. मंत्री अर्जुन ने कहा है कि इतिहास को वो ठीक करेंगे लेकिन पहले उन्हें अपना  दिमाग ठीक करना चाहिए.'' 


क्या है इतिहास?


सौलहवीं शताब्दी की रहस्यवादी कवि और कृष्ण की अनन्य भक्त मीराबाई का जन्म 1498 ई. में मेड़ता के शासक राव रतन सिंह के घर 'कुरकी' गांव में हुआ था. ऐतिहासिक विवरणों के अनुसार, मीराबाई का व‍िवाह 1516 ई. में भोजराज से हुआ, जो मेवाड़ के महाराणा सांगा के सबसे बड़े पुत्र थे.


भोजराज की अचानक मृत्यु के बाद मीराबाई का सांसारिक जीवन से लगाव कम हो गया और वह संतों की भक्ति और सेवा में लग गईं. मीराबाई के सम्मान में, राजस्थान सरकार ने मेड़ता में राव दूदा गढ़ (किला) का संरक्षण किया है और 2008 में किले में मीराबाई ‘पैनोरमा’ का निर्माण किया है. पैनोरमा में मूर्तियां, लघुचित्र और शिलालेख हैं जो कवि-संत के जीवन से प्रेरणादायक घटनाओं और महत्वपूर्ण घटनाओं को दर्शाते हैं.


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