Asaram Case: अपने गुरुकुल की नाबालिग छात्रा के यौन उत्पीड़न के मामले में मरते दम तक कारावास की सजा भुगत रहे आसाराम की यौन शोषण के मामले में आजीवन कारावास की सजा के खिलाफ आसाराम की अपील में पेश प्रार्थना पत्र पर मंगलवार को सुनवाई पूरी हो गई. कोर्ट ने प्रार्थना पत्र पर निर्णय सुरक्षित रखा है. न्यायाधीश संदीप मेहता व न्यायाधीश विनोद कुमार भारवानी की खंडपीठ में सभी पक्षों ने प्रार्थना पत्र पर अपनी दलीलें दी. पिछली सुनवाई आसाराम की ओर से तत्कालीन पुलिस उपायुक्त पश्चिम अजय पाल लांबा को साक्ष्य रिकॉर्डिंग के लिए तलब करने का प्रार्थना पत्र पेश किया गया था.


राजस्थान हाईकोर्ट के निर्देश पर प्रार्थना पत्र की प्रति पीड़िता के अधिवक्ता पीसी सोलंकी को दी गई. आसाराम की ओर से कहा गया कि तत्कालीन पुलिस उपायुक्त पश्चिम अजय पाल लांबा ने जोधपुर में मामला दर्ज होने से पहले घटनास्थल का जायजा लेकर वीडियो बनाया था. इस मामले को लेकर लिखी गई किताब में उन्होंने इसका जिक्र किया है. उन्होंने कहा कि इस तथ्य का परीक्षण होना जरूरी है. लिखित पुस्तक 'गनिंग फ़ॉर द गॉड मैन' का हवाला देते हुए जांच प्रक्रिया पर प्रश्नचिन्ह खड़ा किया था.


2013 में छात्रा ने दर्ज कराया था मामला


आसाराम के गुरुकुल में पढ़ने वाली एक नाबालिग छात्रा ने आरोप लगाया कि 15 अगस्त 2013 को आसाराम ने जोधपुर के निकट मणाई गांव में स्थित एक फार्म हाउस में उसका यौन उत्पीड़न किया. बीस अगस्त 2013 को उसने दिल्ली के कमला नगर पुलिस थाने में आसाराम के खिलाफ मामला दर्ज कराया. जोधपुर का मामला होने के कारण दिल्ली पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज कर जांच करने के लिए उसे जोधपुर भेजा. जोधपुर पुलिस ने आसाराम के खिलाफ नाबालिग का यौन उत्पीड़न करने का मामला दर्ज किया. जोधपुर पुलिस 31 अगस्त 2013 को इन्दौर से आसाराम को गिरफ्तार कर जोधपुर ले आई. उसके बाद से आसाराम लगातार जोधपुर जेल में ही बंद है. अप्रैल 2018 में कोर्ट ने उसे मरते दम तक जेल में रहने की सजा सुनाई थी.


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