Rajasthan High Court News: अपने ही गुरुकुल की नाबालिग छात्रा के साथ यौन दुराचार के मामले में पिछले करीब नौ साल से भी अधिक समय से आसाराम जेल में बंद हैं. आसाराम को पोक्सो एक्ट के तहत 2018 में अंतिम सांस तक कारावास की सजा सुनाई गई थी. उन पर जमानत पाने के लिए फर्जी दस्तावेज पेश करने का भी आरोप है. इस मामले में जोधपुर सीजेएम मेट्रो कोर्ट ने आसाराम को चार्ज सुनाए गए थे. राजस्थान हाईकोर्ट में आसाराम की जमानत याचिका पर न्यायधीश कुलदीप माथुर की बेंच में सुनवाई हुई. आसाराम की ओर से अधिवक्ता नीलकमल बोहरा ने पक्ष रखा. इसके बाद अदालत ने उनको जमानत दे दी. आसाराम को जमानत तो मिली है, लेकिन वो जेल से बाहर नहीं आ पाएंगे.


आसाराम को किस मामले में मिली है जमानत


आसाराम के पैरोकार रवि राय ने जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका पेश की थी. इसमें जोधपुर सेंट्रल जेल की डिस्पेंसरी का फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट पेश किया गया था. उस सर्टिफिकेट में आसाराम की कई गंभीर बीमारियों का जिक्र किया गया था. वर्ष 2017 में पेशी सर्टिफिकेट की सुप्रीम कोर्ट ने जांच करवाई. जांच में वह फर्जी पाया गया. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर जोधपुर के रातानाडा पुलिस थाने में आसाराम के पैरोकार रवि को मुख्य आरोपी मानते हुए एक मामला दर्ज करवाया गया. इस मामले में आसाराम भी आरोपी हैं.यह मामला संज्ञेय अपराध की श्रेणी में आता है. जिसमें अधिकतम तीन से सात साल तक की सजा का प्रावधान है.


क्या है आसाराम की दलील


अदालत में मामले की सुनवाई के दौरान आसाराम ने कहा कि इस पूरे मामले में उनकी कोई भूमिका नहीं है. रवि राय से मेरी ना तो साक्षात और ना ही फोन के जरिए कोई बात या मुलाकात हुई है.उनका कहना था कि राय को उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में जमानत याचिका दायर करने के लिए अधिकृत भी नहीं किया है.जोधपुर सेंट्रल जेल से जुड़े कई दस्तावेज रवि रॉय के दिल्ली स्थित आवास से ही मिले हैं.आसाराम ने कहा कि मेरा इस मामले से कोई लेना देना नहीं है.


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