Jodhpur: झूठे दस्तावेज पेशकर जमानत पाने का मामला, आसाराम की कोर्ट में हुई पेशी, जानें- क्या हुआ?
आखिरी सांस तक जेल की सजा काट रहे आसाराम जोधपुर की सीजेएम मेट्रो कोर्ट में पेश हुए. मामला सुप्रीम कोर्ट में जमानत पाने के लिए फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट पेश करने से जुड़ा है.
Rajasthan News: अपने ही गुरुकुल की नाबालिग छात्रा के साथ यौन दुराचार मामले में जीवन की आखिरी सांस तक जेल की सजा काट रहे आसाराम को जोधपुर सीजेएम मेट्रो कोर्ट ने बुधवार (18 जनवरी) को आरोप सुनाए. आसाराम पर सुप्रीम कोर्ट में जोधपुर जेल डिस्पेंसरी का फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट पेश कर जमानत हासिल की कोशिश का आरोप है. अधिवक्ता विजय चौधरी ने जोधपुर सीजेएम मेट्रो कोर्ट के फैसले को रिवीजन में ले जाने की बात कही है. उन्होंने बताया कि रविराय और आसाराम के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में झूठे दस्तावेज पेश कर जमानत पाने का आरोप है. पैरोकार रविराय की ओर से आसाराम को जमानत दिलाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में जोधपुर सेंट्रल जेल की डिस्पेंसरी का फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट पेश कर याचिका लगाई गई थी.
झूठे दस्तावेज पेशकर जमानत पाने का है मामला
मेडिकल सर्टिफिकेट में आसाराम की कई गंभीर बीमारियों का जिक्र किया गया था. वर्ष 2017 में पेश सर्टिफिकेट की सुप्रीम कोर्ट ने जांच करवाई तो फर्जी पाया गया. सुप्रीम कोर्ट ने मामला दर्ज करने का आदेश पारित कर दिया. जोधपुर के रातानाडा थाने में पैरोकार रविराय को मुख्य आरोपी मानते हुए एफआईआर दर्ज कराई गई. मामले में आसाराम को भी आरोपी बनाया गया. आसाराम की तरफ से मामले में भूमिका का खंडन किया गया. कहा गया कि रविराय से ना तो साक्षात और ना ही फोन के जरिए कोई बात या मुलाकात हुई है.
जेल की सजा काट रहे आसाराम कोर्ट में हुए पेश
उन्होंने कहा कि रविराय को सुप्रीम कोर्ट में जमानत याचिका दायर करने का अधिकृत नहीं किया था. जोधपुर सेंट्रल जेल से जुड़े दस्तावेज रविराय के दिल्ली स्थित आवास से ही मिले हैं. आसाराम ने कहा कि मेरा इस मामले से कोई लेना देना नहीं है. जोधपुर पुलिस कमिश्नरेट के रातानाडा थाने में भारतीय दंड संहिता की धारा 193, 196, 200, 201, 420, 465, 464, 468, 471 और 120 बी का मुकदमा दर्ज किया गया. आसाराम को भी मामले में धारा 120 B का आरोपी बनाया गया है. पैरोकार रविराय और आसाराम के खिलाफ मामला साल 2017 में दर्ज किया गया था. संज्ञेय अपराध की श्रेणी में होने के कारण अधिकतम 3 से 7 वर्ष की सजा का प्रावधान है.
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