Ashok Gehlot News: राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बतौर मुख्यमंत्री अपना तीसरा कार्यकाल पूरा करने जा रहे हैं. राजनीति के जादूगर सीएम गहलोत के बचपन के मित्र और सहपाठी ग्रुप ने सीएम अशोक गहलोत को 72वें जन्मदिवस की शुभकामनाएं देते हुए बताया कि सीएम गहलोत का बचपन कैसा था. कुछ ऐसे पल जो आज भी सीएम गहलोत सहित उनके बचपन के दोस्तों को याद हैं. कैसे स्कूल की पढ़ाई के दौरान हम स्कूल से निकल कर घूमने चले जाते थे, उन पलों को याद करते हैं. सीएम अशोक गहलोत के बचपन के मित्र रिखबचंद कोठारी ने एबीपी न्यूज़ से खास बातचीत करते हुए कुछ अनसुने किस्से सांझा किये हैं. जानिए किया बताया...


रिखबचंद कोठारी ने बताया कि अशोक गहलोत बचपन से ही पढ़ाई में बहुत होशियार थे. हर एक्टिविटी में भाग लेते थे. उन्हें न्यूज़पेपर पढ़ने का बहुत शौक था. खबरें पढ़कर स्कूल में दोस्तों को एक भाषण के रूप में सुनाते थे. बचपन से ही हर चीज सीखना और समझने की ललक उनमें बहुत ज्यादा थी. बचपन से ही मिलनसार थे. दोस्तों ने बताया कि जब अशोक गहलोत दसवीं कक्षा में आए, उसके बाद हम लोग एक दूसरे से अलग हो गए. सीएम गहलोत के पिताजी बाबू लक्ष्मण सिंह गहलोत जादूगर थे. साथ ही नगरपालिका के चेयरमैन भी थे.


'बचपन से ही किसी से भी नहीं डरते थे'
रिखबचंद कोठारी ने बताया कि सीएम गहलोत और उनकी शुरुआती शिक्षा कच्ची क्लास से महामंदिर क्षेत्र के वर्धमान जैन स्कूल से शुरू हुई. इस स्कूल में हमने साथ-साथ पढ़ाई करके पांचवीं कक्षा पास की. इस स्कूल में पढ़ाई के दौरान हम तीन लोगों की खास दोस्ती हुआ करती थी. खेमसिंह परिहार, अशोक गहलोत में रिखबचंद कोठारी हमारे बचपन का एक किस्सा आज भी हमें याद है. हमारे मित्र खेमसिंह परिहार का फार्म हाउस हुआ करता था, फार्म हाउस के पास श्मशान घाट था. 


सभी दोस्त कई बार स्कूल के समय वहां से निकलकर फार्म हाउस पर मौज मस्ती करने निकल जाते थे. कई बार रात हो जाती तो उस श्मशान के रास्ते से निकलते थे. उस दौरान श्मशान में अंतिम संस्कार चल रहा होता था, तो दोस्त घबरा जाते थे, लेकिन अशोक गहलोत कभी नहीं घबराते थे. क्योंकि वह कहते थे कि मेरे पिताजी जादूगर हैं. हमारे घरों में तो खोपड़ी ऐसे ही पड़ी रहती है. धीरे-धीरे सीएम अशोक गहलोत ने अपने पिताजी से जादूगरी का हुनर भी सीख लिया था.


'सीएम अशोक गहलोत ने कार चलाना सीखा'
रिखबचंद कोठारी  ने बताया कि हम लोगों ने पांचवीं कक्षा पास कर ली थी और सुमेर स्कूल में चले गए थे. वहां आठवीं कक्षा में हम दोनों के पास साइकिल हुआ करती थी. हमारे एक दोस्त खेमसिंह परिहार के पास विंटेज कार थी. सीएम गहलोत ने खेमसिंह से कहा कि मुझे भी कार चलाना सीखना है. एक दिन खेमसिंह  अपनी कार लेकर आए. ऐसे ही लाल मैदान में कुछ दूरी तक कार चलाई. फिर सीएम गहलोत ने कहा कि अभी मजा नहीं आ रहा है, कहीं दूर चलते हैं. ऐसे में खेमसिंह परिहार ने कहा कि मेरे पास पेट्रोल के रुपये नहीं हैं. 


अशोक गहलोत ने कहा कि पेट्रोल का इंतजाम मैं कर दूंगा. कार को लेकर शिप हाउस के पास फायर बिग्रेड के कार्यलय पहुंचे, जहां से कार में पेट्रोल भरवाया. उसके बाद अशोक गहलोत ने कहा कि कार ड्राइव मैं करूंगा और ड्राइवर सीट पर बैठ गए. जैसे ही कार फायर बिग्रेड से बाहर निकली, वहां पर एक हादसा हो गया. हादसे में सीएम गहलोत घबरा गए थे. उन्होंने ब्रेक की जगह एक्सिलरेटर पर पांव रख दिया, जिससे कार तेज रफ्तार से दौड़ने लगी और दीवार से टकरा गई. 


कोठारी ने बताया कि दोस्त खेमसिंह परिहार ने कार को कंट्रोल करने में मदद की, नहीं तो आज न वह होते न अशोक गहलोत. उन्होंने कहा कि यह घटना हमारे जीवन की ऐसी घटना है, जिसे हम लोग कभी नहीं भूलते हैं. जब भी इस घटना को याद करते हैं, तो रोंगटे खड़े हो जाते हैं. कई बार इस घटना को लेकर हम लोग हंसते भी हैं.


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