Rajasthan Politics: संगठित अपराध के खिलाफ गहलोत सरकार लाई 'राकोका', गुजरात-कर्नाटक-महाराष्ट्र के बाद यहां होगा तगड़ा कानून
Rajasthan News: धारा-28 के तहत हाई कोर्ट को विशेष न्यायालयों के संबंध में नियम बनाने की शक्तियां दी गई हैं. धारा-29 के अंतर्गत राज्य सरकार अधिनियम के प्रयोजनों को क्रियान्वित करने का नियम बनाएगी.
Rajasthan News: राजस्थान में अपराध पर कंट्रोल करने के लिए सरकार ने बड़ा कदम उठाया है. राजस्थान विधानसभा ने गैंगस्टर पर कार्रवाई करने के लिए एक नया बिल पारित किया है. इसके कानून बन के बाद राजस्थान कई राज्यों की श्रेणी में आ जाएगा, जिनके पास इस तरह के कानून हैं. इससे दावा किया जा रहा है कि अपराध पर नियंत्रण बढ़ जाएगा. संसदीय कार्य मंत्री शांति कुमार धारीवाल का कहना है कि प्रदेश में संगठित अपराध पर रोक लगाने और पुलिस को सशक्त बनाने के लिए राजस्थान संगठित अपराध का नियंत्रण विधेयक-2023 (Rajasthan Control of Organised Crime Bill 2023 ) लाया गया है. उन्होंने कहा कि इस अधिनियम (राकोका) के प्रावधान राज्य में संगठित अपराध को नियंत्रित करने में कारगर साबित होंगे. सदन में चर्चा के बाद विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया. संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि विधेयक में अपराधियों द्वारा अर्जित सम्पत्ति को जब्त करने और विशेष न्यायालयों की स्थापना व विशेष लोक अभियोजकों की नियुक्ति करने के प्रावधान हैं ताकि मुकदमों का शीघ्र निस्तारण हो सके. इसमें अपराधियों की जमानत और अग्रिम जमानत नहीं होने देने के भी प्रावधान हैं.
ये राज्य भी बना चुके हैं ऐसे कानून
धारीवाल ने बताया कि इस अधिनियम की धारा-28 के अंतर्गत हाई कोर्ट को विशेष न्यायालयों के संबंध में नियम बनाने की शक्तियां प्रदान की गई हैं. वहीं, धारा-29 के अंतर्गत राज्य सरकार अधिनियम के प्रयोजनों को क्रियान्वित करने के लिए नियम बना सकेगी. उन्होंने बताया कि दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा-5 के अंतर्गत राज्य सरकार विशेष प्रक्रिया के कानून बना सकती है, जिसके अंतर्गत यह विधेयक लाया गया है. इस तरह का कानून बनाने वाला राजस्थान देश का चौथा राज्य है. इससे पहले महाराष्ट्र, कर्नाटक और गुजरात में इस तरह के कानून लागू कर चुके हैं. इससे पूर्व जनमत जानने के लिए विधेयक को परिचालित करने का प्रस्ताव सदन ने ध्वनिमत से अस्वीकार कर दिया.
राज्य में अपराध करने का पैटर्न बदला
संसदीय कार्य मंत्री ने बताया कि राज्य में अपराध की प्रवृत्तियों के अध्ययन से यह प्रकट हुआ है कि पिछले दशक में राज्य में अपराध के पैटर्न में बदलाव आया है. आपराधिक गिरोहों ने शूटर, मुखबिर, गुप्त सूचना देने वाले और हथियार आपूर्तिकर्ताओं के साथ मिलकर संगठित नेटवर्क स्थापित कर लिए हैं. ये संगठित गिरोह मुख्य रूप से कॉन्ट्रेक्ट किलिंग, व्यवसायियों को धमकी देकर फिरौती मांगने, मादक पदार्थों की तस्करी जैसे संगीन अपराधों में लिप्त हैं. ये गिरोह कानून और प्रक्रिया के सुधारात्मक और पुनर्वास सबंधी पहलुओं का लाभ उठाते हुए अपराध करने के लिए अभिरक्षा से रिहा भी हो जाते हैं. कुछ समय से इन अपराधियों ने जनता में डरावनी छवि बना ली है. इसलिए इन अपराधियों से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए आवश्यक कठोर कानून की यह विधेयक पूर्ति करेगा.
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