सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड को बताया असंवैधानिक तो अशोक गहलोत बोले- सबसे बड़ा घोटाला था
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (15 फरवरी) को इलेक्टोरल बांड को असंवैधानिक करार दिया. इसको लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत ने प्रतिक्रिया दी है.
Electoral Bonds Scheme Verdict: सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड को असंवैधानिक करार दिया और इसे रद्द कर दिया. इस फैसले का गुरुवार (15 फरवरी) को राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत ने स्वागत किया. उन्होंने कहा कि इलेक्टोरल बॉन्ड ने भ्रष्टाचार को बढ़ाने का काम किया.
गहलोत ने कहा, ''इलेक्टोरल बॉन्ड को असंवैधानिक ठहराने का सुप्रीम कोर्ट का फैसला ऐतिहासिक एवं स्वागतयोग्य है. इसने राजनीतिक चंदे की पारदर्शिता को खत्म किया और सत्ताधारी पार्टी बीजेपी को सीधे लाभ पहुंचाया.''
सबसे बड़ा घोटाला- अशोक गहलोत
उन्होंने कहा, ''मैंने बार-बार कहा कि इलेक्टोरल बॉन्ड आजाद भारत के सबसे बड़े घोटालों में से एक है. आज सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने यह साबित कर दिया है कि इलेक्टोरल बॉन्ड एनडीए सरकार का एक बड़ा घोटाला है.''
उन्होंने आगे कहा, ''यह फैसला देर से आया पर देश के लोकतंत्र को बचाने के लिए बेहद ही जरूरी फैसला है. सुप्रीम कोर्ट का धन्यवाद.''
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि SBI सभी पार्टियों को मिले चंदे की जानकारी 6 मार्च तक चुनाव आयोग को दे. चुनाव आयोग 13 मार्च तक यह जानकारी अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित करे. अभी जो बांड कैश नहीं हुए राजनीतिक दल उसे बैंक को वापस करें.
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कुछ कहा?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन है. सरकार ने इलेक्टोरल बॉन्ड योजना से काले धन पर रोक की दलील दी, लेकिन इस दलील से लोगों के जानने के अधिकार पर असर नहीं पड़ता है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार ने दानदाता की गोपनीयता रखने को जरूरी बताया, लेकिन हम इससे आश्वस्त नहीं हैं. सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि क्या अनियंत्रित चंदा होना चाहिए. मतदाताओं को वह बातें जानने का अधिकार है जो उनके मतदान पर असर डालती हैं