Rajasthan Politics: राजस्थान की राजनीति में अशोक गहलोत, वसुंधरा राजे, सचिन पायलट, किरोड़ी लाल मीणा और हनुमान बेनीवाल जैसे नेताओं का बड़ा नाम है. उनका बयान सत्ता के गलियारे में मायने रखता है. लेकिन वर्ष 2024 की शुरुआत से इन नेताओं की चर्चा बंद हो गयी है. अब उनके समर्थकों में अटकलों का दौर चल पड़ा है. उनके पास संगठन में न महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है और न ही सरकार में कोई बड़ा पद है. दिलचस्प बात है कि उनमें से ज्यादातर विधायक रह गये हैं.
लोकसभा चुनाव के बाद से इन नेताओं का बयान बहुत कम सुनने को मिलता है. अलबत्ता, एक दो नेता समय-समय पर 'राजनीतिक तंज' जरूर कसते हुए नजर आते हैं. पिछले दिनों पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का बयान सुर्खियों में आ गया था.
ये वो नेता हैं जो हमेशा 'पावर' में रहे
अशोक गहलोत कांग्रेस के लिए अलग-अलग राज्यों में काम करते रहे हैं. कई राज्यों का प्रभार भी उन्होंने संभाला है. इस बार कांग्रेस की सरकार जाने के बाद कोई जिम्मेदारी नहीं मिली है. अशोक गहलोत को लोकसभा में भी ज्यादा देखा नहीं गया. इसलिए अब उनके समर्थक 'मायूस' हैं. अशोक गहलोत विधायक बनकर रह गये हैं.
वसुंधरा राजे पिछले 25 सालों से संगठन और सरकार का मजबूत चेहरा रही हैं. इस बार लोकसभा चुनाव के प्रचार में भी ज्यादा एक्टिव नहीं नजर आयीं. राजे अभी सिर्फ विधायक हैं. प्रदेश के संगठन में उनके पास कोई जिम्मेदारी नहीं है. उनके समर्थक भी अब 'मायूस' दिख रहे हैं. सचिन पायलट केंद्र के अलावा राजस्थान सरकार में मंत्री रहे हैं. राजस्थान में कांग्रेस की लम्बे समय तक बागडोर भी संभाली है. लोकसभा चुनाव में सचिन पायलट एक्टिव रहे. उनके पास छत्तीसगढ़ राज्य का प्रभार भी है. मगर, पावर जोन से बाहर हैं. उनके समर्थकों को उम्मीद है कि सचिन पायलट फिर से अध्यक्ष बन सकते हैं. पायलट भी सिर्फ विधायक हैं.
किरोड़ी और हनुमान अलग-थलग
किरोड़ी लाल मीणा और हनुमान बेनीवाल खुद की 'राजनीति ' करते हैं. बेनीवाल चार बार विधायक और दो बार सांसद बने. लेकिन उन्हें मंत्री बनने का मौका नहीं मिल पाया. हालांकि, बेनीवाल का बयान जरूर सुर्खियां बटोरता है. किरोड़ी लाल मीणा भी मंत्री बने जरूर लेकिन उनका इस्तीफा हो चुका है. उनके समर्थक भी असमंजस की स्थिति में हैं. उन्हें भी साफ और सटीक राह नहीं दिख रही है.
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