बाड़मेर के आरटीआई कार्यकर्ता अमराराम जाट पिछले लंबे समय से शराब की अवैध दुकानों को लेकर लड़ाई लड़ रहे थे, अमराराम का शराब के ठेके को लेकर कई बार नोकझोंक भी हुई. अमराराम का आरोप था कि शराब की दुकान का एक लाइसेंस और 4 दुकानें कैसे चल सकती हैं. इसको लेकर कई बार आवाज भी उठाई लेकिन अवैध शराब के ठेके चलाने वाले माफिया की आंखों की किरकिरी बन चुके आरटीआई कार्यकर्ता अमराराम को ठिकाने लगाने की और सबक सिखाने की तैयारी में जुट गए. जिसका अंजाम यह हुआ कि मंगलवार की रात कुछ लोग स्कॉर्पियो लेकर पीछा करते हुए अमराराम को जबरदस्ती पकड़कर अपनी जगह ले जाकर मारपीट की. लोहे के सरिये पांव में डाले गए. उसके बाद स्कॉर्पियो भी मौजूद अन्य लोगों को लगा कि अमराराम जाट की मौत हो गई है तो उसको वहीं पर फेंक कर भाग निकले.
अस्पताल में अमराराम से बात हुई तो अमराराम बताया कि वह आरटीआई कार्यकर्ता है और पिछले कई सालों से शराब की अवैध दुकानों व सरपंच द्वारा की गई अनियमितताओं को लेकर आरटीआई लगाता रहता है इससे नाराज सरपंच सहित अन्य लोगों ने कई बार हिदायत दी कि उसे इसके लिए जान से हाथ धोना पड़ सकता है. अमराराम ने बताया कि प्रशासन शहरों के संग कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री आवास योजना, नरेगा योजना योजनाओं में धांधली की आवाज उठाई जिसके चलते सरपंच व मानाराम उससे खफा थे जिसके चलते उसका पीछा किया गया और उसके साथ मारपीट की गई.
अमराराम जाट के साथ अस्पताल में उनके पड़ोसी भी मौजूद थे. उन्होंने कहा कि सरपंच केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी के खास हैं वहीं मानाराम हरीश चौधरी के खास हैं जिसके चलते पुलिस ने उनको थाने बुलाकर पूछताछ कर फिर छोड़ दिया है. यह पूरा राजनीतिक खेल है. आरटीआई कार्यकर्ता को न्याय चाहिए और परिवार की स्थिति को देखते हुए राज्य सरकार को पैकेज देना चाहिए आरोपियों की जल्द से जल्द गिरफ्तार की मांग की.
आरटीआई कार्यकर्ता अमराराम जाट के पिता किसान हैं. उन्होंने कहा कि सरपंच मानाराम व बुराराम सहित तीन लोगों ने मुझे कहा था कि तुझे तेरा बेटा चाहिए या नहीं चाहिए तो उसे बोल दो कि यह काम छोड़ दे नहीं तो बेटे को खो देगा उन्होंने मेरे बेटे के साथ धोखा किया है और उसकी जान लेने की कोशिश की है मैं तो न्याय चाहता हूं मेरे जैसे गरीब आदमी के बुढ़ापे के सहारे की जान लेने की कोशिश की गई है.
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