Rajasthan News: उत्तर प्रदेश के अयोध्या में भगवान श्री राम का भव्य मंदिर बनकर तैयार हो रहा है. 22 जनवरी को रामलला भव्य मंदिर में विराजेंगे. ऐसे में मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर उत्साह और उल्लास का माहौल देशभर के राम भक्तों के साथ जोधपुर (Jodhpur) में भी है. देशभर से लाखों श्रद्धालु अयोध्या पहुंचकर भगवान श्री रामचंद्र के इस भव्य मंदिर में रामलला के दर्शन को बेताब हैं. जोधपुर शहर में ऐसे भी लोग हैं जिन्होंने राम मंदिर आंदोलन में कारसेवक बनकर बलिदान दिया. मंदिर आंदोलन के दौरान शहीद हुए कारसेवकों के परिवार को भगवान श्री राम के मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के आयोजन में शामिल होने के लिए विशेष निमंत्रण दिया गया है.


जब 90 की दशक में भगवान श्री राम के मंदिर का आंदोलन चल रहा था, उस दौरान देश के हजारों युवा अयोध्या पहुंचे थे. इनमें से कुछ युवा अपने घर नहीं लौट सके. इनमें से एक थे मथानिया के सेठाराम परिहार जो अपने घर पर बिना बताए राममंदिर आंदोलन में शामिल होने के लिए अयोध्या निकल गए थे और फिर कभी वह लौटकर नहीं आए. वहीं उनके इंतजार में उनकी पत्नी का देहांत हो गया. घर में बूढ़ी मां, भाई और बहन के साथ एक बेटी और एक बेटा और पुत्रवधू है. कार सेवक सेठाराम की 87 वर्षीय माता शायरी देवी ने कहा कि तीन दशक के इंतजार के बाद मेरे लाल का सपना पूरा होता देखने के लिए भगवान ने मुझे जिंदा रखा है. 


हर रोज मां करती थी प्रार्थना
बता दें बेटे के निधन की खबर मिलने के बाद से वह बेसुध हो गई थी. दिन-रात भगवान से प्रार्थना करती थीं कि जिस सपने और लक्ष्य के लिए मेरे बेटे ने प्राण निछावर किया है. वह जल्द से जल्द साकार हो. वह सपना अब 22 जनवरी को पूरा होने जा रहा है. कारसेवक सेठाराम परिहार के भाई अमर परिहार ने बताया कि हमें बहुत खुशी है कि मेरे भाई का बलिदान भगवान श्री राम के मंदिर के लिए हुआ. मेरे भाई सेठाराम की डेड बॉडी जब गांव पहुंची थी, तो समाज के लोगों ने कहा था कि समाज के शमशान में ही उनकी अंत्येष्टि को अग्नि दी जाएगी, लेकिन मेरे पिता ने कहा कि हमारी खुद की जमीन है, वहीं पर हम अंतिम संस्कार करेंगे. 


बेटे के लिए बनवाया मंदिर
वहां पर कारसेवक सेठाराम परिहार की समाधि बनाई गई है. इसी के साथ ही 1992 में ही राम मंदिर का निर्माण किया गया. जहां पर कार्तिक पूर्णिमा के दौरान बड़े मेले का आयोजन होता है. कार सेवक सेठाराम परिहार के बेटे मुकेश परिहार ने बताया कि जब मेरे पिता शहीद हुए थे, तो मैं उस समय मात्र डेढ़ साल का था. जैसे-जैसे बड़ा हुआ मेरे पिता सेठाराम के द्वारा किए गए काम की जानकारी मिली. मुझे बहुत गर्व होता है कि मेरे पिता भगवान श्री राम मंदिर के आंदोलन के शहीद हुए हैं. अब मेरे पिता का सपना साकार हो रहा है. हमें निमंत्रण मिला है हम 20 तारीख को अयोध्या जी के लिए गांव से निकलेंगे.



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