Azadi ka Amrit Mahotsav: जोधपुर में हाइफा हीरो मेमोरियल पर सेना के बैंड की संगीतमय प्रस्तुति, याद किए गए अमर शहीद
स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे होने पर भारतीय सेना ने हाइफा हीरो मेमोरियल पर बैंड की संगीतमय प्रस्तुति दी और अमर शहीद जवानों को याद किया. इस दौरान केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत भी मौजूद रहे.
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Jodhpur News: स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे होने पर भारतीय सेना भी आजादी का अमृत महोत्सव मना रही है. इस कड़ी में शनिवार 13 अगस्त की शाम जोधपुर में हाइफा हीरो मेमोरियल पर संगीत संध्या का आयोजन किया गया. इसमें सेना के तीन बैंड ने मिलकर संगीत की स्वर लहरियों का जादू बिखेरा और देश के लिए अपने प्राण न्यौछावर करने वाले अमर शहीदों को याद किया. इस समारोह में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, सेना के अधिकारी सहित बड़ी संख्या में आमजन के भी शामिल हुए.
मेजर दलपत सिंह की प्रतिमा के सामने किया आयोजन
जोधपुर में स्थापित हाइफा युद्ध के हीरो मेजर दलपत सिंह की प्रतिमा के सामने शनिवार को सेना के पाइप बैंड, सिम्फनी बैंड और ब्रास बैंड का संगीतमय आयोजन किया. हाइफा की लड़ाई को प्रथम विश्व युद्ध के दौरान मध्य पूर्व एशिया की सबसे महत्वपूर्ण लड़ाई मानी जाती है. प्रथम विश्वयुद्ध में ब्रिटिश और जर्मनी की सेनाएं प्रमुख थी. जर्मनी और तुर्की की गठबंधन सेना ने हाइफा के दुर्ग पर कब्जा कर लिया. ब्रिटिश सेना की तरफ से इस युद्ध में भाग ले रही जोधपुर और मैसूर लांसर को हाइफा पर फिर से कब्जा जमाने की जिम्मेदारी सौंपी गई. पहाड़ी पर स्थित हाइफा के किले पर काबिज जर्मन सेना लगातार मशीनगन से गोलीबारी कर रही थी. वहीं जोधपुर की सेना के पास सिर्फ नाम मात्र की बंदूकें ही थी.मेजर दलपत सिंह के नेतृत्व में जोधपुर की सेना आगे बढ़ी तो जर्मन सेना ने गोलियों की बौछार कर दी. उन्हें एक बार पीछे हटना पड़ा. इसके बाद उन्होंने अलग दिशा से चढ़ाई शुरू की. इस दौरान मैसूर लांसर की सेना लगातार फायरिंग कर उन्हें कवर प्रदान किया. युद्ध में जोधपुर की टुकड़ी ने जर्मन और तुर्की सेना को पराजित कर किले पर कब्जा कर लिया.
युद्ध में मेजर दलपत सिंह हो गए शहीद
इस युद्ध में उन्होंने 1350 जर्मन और तुर्क सैनिकों को बंदी बना लिया. इसमें से 35 अधिकारी भी शामिल थे. सैनिकों से ग्यारह मशीनगन के साथ ही बड़ी संख्या में हथियार जब्त किए. भीषण युद्ध में सीधी चढ़ाई करने के दौरान जोधपुर लांसर के मेजर दलपतसिंह गंभीर रूप से घायल हो गए. इसके बावजूद उन्होंने प्रयास नहीं छोड़ा. इस युद्ध में दलपत सिंह सहित जोधपुर के आठ सैनिक शहीद हुए जबकि साठ घोड़े भी मारे गए. प्रथम विश्व युद्ध की इस महत्वपूर्ण लड़ाई की याद में भारतीय सेना हर वर्ष 23 सितम्बर को हाइफा दिवस के रूप में मनाती है. वहीं इजराइल ने इन सैनिकों की याद में वहां एक स्मारक बनवा रखा है. साथ ही इजरायल के स्कूली पाठ्यक्रम में भी हाइफा युद्ध को पढ़ाया जाता है. भारत में इन शहीद सैनिकों की याद में दिल्ली में तीन मूर्ति स्मारक का निर्माण कराया गया था. वहां लगी तीन में से एक मूर्ति मेजर दलपत सिंह की है. बाद में मेजर दलपतसिंह की एक अश्वारुढ़ प्रतिमा जोधपुर में स्थापित की गई. इस प्रतिमा के समक्ष सेना आजादी का अमृत महोत्सव के तहत यह आयोजन करने जा रही है.
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