Azadi ka Amrit Mahotsav: जानें- क्रांतिकारी केसरी सिंह बारहठ के स्वतंत्रता आंदोलन का संघर्ष, आज भी याद की जाती है कुर्बानी
Rajasthan News: देश आजादी का अमृत महोत्सव मनाने जा रहा है. ऐसे में क्रातिकारी केसरी सिंह बहराठ को जरूर किया जाएगा. उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में महात्मा गांधी को भी पूरा सहयोग दिया था.
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Independence Day 2022: देश आजादी का अमृत महोत्सव मनाने जा रहा है. ऐसे में क्रांतिकारी केसरी सिंह बहराठ को जरूर किया जाएगा. स्वतंत्रता आंदोलन की रणनीति तय करने के लिए वो अपनी हवेली पर गुप्त मंत्रमा किया करते थे. उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में महात्मा गांधी को भी पूरा सहयोग दिया था. केसरी सिंह ने राजस्थानी में लिखे 13 सोरठे के जरिए भी लोगों में क्रांति का बिगुल फूंका था.
केसरी सिंह बारहठ का जन्म 21 नवंबर 1872 को हुआ था. वे शाहपुरा क्षेत्र के देव खेड़ा के जागीरदार थे. उन्होंने युवाओं में क्रांति की अलख जगाई उन्होंने पूरे परिवार को आजादी के आंदोलन में झोंक दिया. शक्ति, भक्ति और कुर्बानी की कण-कण में महान क्रांतिकारी केसरी सिंह बारहठ और उनके परिवार की शौर्य गाथा देश भर में गूंजती है.
उनके भाई ने लॉर्ड हार्डिंग पर बम फेंका था
केसरी सिंह बारहठ के छोटे भाई जोरावर सिंह बारहठ ने 23 दिसंबर 1912 को दिल्ली के चांदनी चौक में निकले भव्य जुलूस में लॉर्ड हार्डिंग पर बम फेंक दिया था. उस समय प्रताप सिंह बारहठ भी उनके साथ थे. जोरावर सिंह ने 27 साल तक मध्यप्रदेश के मालवा और राजस्थान में फरारी काटी. 17 अक्टूबर 1939 को उनका निधन हो गया. केसरी सिंह बारहठ के बेटे प्रताप सिंह बारहठ ने भी स्वाधीनता के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी थी. प्रताप सिंह बारहठ का जन्म 24 मई 1893 को हुआ. 24 मई 1918 को 25 वर्ष की आयु में ही वे शहीद हो गए.
जानें उनका जीवन परिचय
केसर सिंह बारहठ का जन्म 21 नवंबर 1872 को शाहपुरा के पास देवपुरा गांव में हुआ था और उनका निधन 14 अगस्त 1941 को हुआ था. उन्होंने पहली गिरफ्तारी शाहपुरा से 21 मार्च 1914 को दी तब उन्हें आजीवन कारावास हुआ और हजारीबाग जेल में समय बिताया. वो 1919 में हजारीबाग जेल से रिहा हुए उसके बाद भी लगातार स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेते रहे.
जहां रासबिहारी बोस ने क्रांतिकारी केसर सिंह बारहठ के लिए कहा था कि केसर सिंह के सारे परिवार ने त्याग का जो उदाहरण पेश किया वह आधुनिक राजस्थान में तो अद्वितीय है. देशभर में भी उसकी मिसाल शायद ही मिले, वे राजस्थान के योगी अरविंद थे.
दोनों भाई स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़े थे
केसरी सिंह बारहठ के छोटे भाई जोरावर सिंह बारहठ भी स्वतंत्रता आंदोलन में अपने भाई के साथ कूद पड़े. उनका जन्म भी शाहपुरा के पास देव खेड़ा गांव में 12 सितंबर 1893 को हुआ था. 23 दिसंबर 1912 को जब ब्रिटिश साम्राज्यवाद की शक्ति के प्रतीक वायसराय लॉर्ड हार्डिंग का भव्य जुलूस दिल्ली की चांदनी चौक में पहुंचा. वहां जोरावर सिंह बारहठ ने बुर्के से चुपके से बम फेंक दिया. उस समय केसरी सिंह बारहठ के बेटे प्रताप सिंह बारहठ भी उनके साथ थे.
केसरी सिंह बारहठ के बेटे प्रताप सिंह बारहठ थे. उन्होंने भी देश की स्वाधीनता के लिए अपने प्राणों की आहुति दी. उनका जन्म 24 मई 1893 को हुआ और देश की आजादी की लड़ाई लड़ते हुए 24 मई 1918 को 25 वर्ष की आयु में ही शहीद हो गए.
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