Bakra Eid 2022: पूरे देश में 10 जुलाई को बकरीद का पर्व मनाया जाएगा. इस्लाम धर्म के यह मुख्य त्योहारों में से एक है. बकरीद को ईद उल अजहा भी कहा जाता है. बकरीद को मुस्लिम समाज के लोग त्याग व कुर्बानी के तौर पर मनाते हैं. इसको लेकर राजस्थान की बकरा मंडियों में लोग खरीदारी करने के लिए बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं. खरीदारों की संख्या अधिक होने के साथ ही बकरों के दामों में भी उछाल है. राजस्थान के जयपुर, जोधपुर, उदयपुर, अजमेर, कोटा संभाग में हजारों की तादाद में बकरे खरीद के लिए लोग पहुंच रहे हैं. यहां 25 हजार से लेकर एक लाख रुपए तक के बकरे खरीदे जा रहे हैं.
इन बकरों की मांग ज्यादा
बकरा मंडी से जुड़े व्यापारी मुन्ना कुरैशी ने बताया कि 10 जुलाई को मनाए जाने वाली बकरीद को लेकर मुस्लिम समाज में उत्साह है. कुर्बानी को लेकर बड़ी तादाद में समाज के लोग बकरा खरीद के लिए पहुंच रहे हैं. इस बार 40 से 45 किलो का बकरा 30 से 35 हजार जबकि 45 से 50 किलो का बकरा 35 से 40 हजार के दाम में बिक रहा है. उन्होंने बताया कि कहीं लोग कुर्बानी के हिसाब से बकरे की नस्ल देखते हैं तो कई लोग किलो के हिसाब से देखते हैं. जैसा ग्राहक को पसंद आता है उसके अनुसार कीमत लगाई जाती है. उन्होंने बताया कि इन दिनों गुलाबी ब्रीड, धुम्मा ब्रीड के बकरे की मांग ज्यादा है. यह बकरे एक लाख रूपये के दाम में बिक रहे हैं.
टोंक मंडी में आते हैं सबसे ज्यादा बकरे
जैसे तैसे बकरीद नजदीक आती जा रही है. वैसे-वैसे बकरा खरीद को लेकर मंडी में खरीदार पहुंच रहे हैं. व्यापारी मुन्ना कुरैशी बताते हैं कि राजस्थान में टोंक की जुमेरात मंडी राजस्थान में फेमस है. यहां हर साल बकरा ईद के अवसर पर एक लाख के आसपास बकरे राजस्थान सहित कई राज्यों के व्यापारी बेचने के लिए आते हैं और बड़ी संख्या में यहां खरीदार पहुंचते हैं. जबकि कोटा बकरा मंडी में पांच हजार के आसपास बकरे आते हैं. इन जगहों पर दिल्ली, मुंबई, कोलकाता भोपाल सहित कई जगहों के लोग बकरों को खरीदने के लिए पहुंचते हैं.
जयपुर, जोधपुर, उदयपुर, अजमेर में सबसे ज्यादा रेट
बता दें कि टोंक, कोटा मंडी में बड़ी तादाद में बकरे खरीद करने के लिए लोग आते हैं. यहां कई प्रकार की दामों में बकरों को खरीदा जाता है. लेकिन प्रदेश के जयपुर, जोधपुर, उदयपुर, अजमेर यह ऐसे इलाके हैं, जहां पर सबसे ज्यादा दामों में बकरों की खरीद होती है. बकरा व्यापारियों की मानें तो यहां बकरों की संख्या भी कम होती है और साथ में उच्च किस्म की नस्ल होने के कारण बकरों की मुंह मांगी कीमत लगती है.
इन नस्लों के बिकते हैं बकरे
आमतौर पर पचास हजार से 1 लाख के बीच बकरों के दाम होते हैं. इनमें तुर्किस्तान की नस्ल धूमा ब्रीड एक लाख के ऊपर रहता है. बकरों की नस्ल की बात की जाए तो गुजरी, कोटा बकरा, गुलाबी ब्रीड, नागोरी ब्रीड, तोतापुरी, अजमेरी , विट्ठल ब्रीड जिसे पंजाबी ब्रीड भी कहा जाता है. इनकी मांग रहती है. इनमें से गुजरी, कोटा बकरा, गुलाबी ब्रीड की मांग अधिक होती है. व्यापारी मुन्ना कुरैशी ने बताया कि गुलाबी ब्रीड की तो इतनी मांग है कि 15 दिन के बकरे की आज ही एक लाख 10 हजार की कीमत लगी है. बूंदी जिले के कई इलाके में बाहर से आए एक खरीदार ने खरीदा है.
बकरीद पर्व की मान्यता
शहर काजी गुलामे गौस ने बताया की धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, हजरत इब्राहिम अल्लाह के पैगंबर थे. एक बार अल्लाह ने उनकी परीक्षा लेने के लिए कहा की हजरत इब्राहिम से कहा कि वह अपने प्यार और विश्वास को साबित करने के लिए सबसे प्यारी चीज का त्याग करें. अल्लाह की बात सुनकर उन्होंने अपने इकलौते बेटे की कुर्बानी देने का फैसला किया. जैसे ही इब्राहिम अपने बेटे को मारने वाले थे तभी अल्लाह ने अपने दूत भेजकर बेटे को एक बकरे में बदल दिया. तभी से बकरीद का त्योहार मनाया जाता है.
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