Rajasthan Student Union Election:राजस्थान में छात्रसंघ चुनाव पर सरकार ने रोक लगा दी है. इस साल शैक्षणिक सत्र में चुनाव न होने का आदेश जारी हो गया है.देर रात आए इस आदेश के बाद छात्र नेता आक्रोशित हो गए हैं. राजस्थान विवि में इसका विरोध किया जा रहा है. छात्र नेता धरने और आंदोलन पर जाने की तैयारी कर रहे हैं. छात्र नेता हरफूल चौधरी का कहना है कि हम पीछे नहीं हटने वाले हैं. इस आदेश के खिलाफ आंदोलन किया जाएगा. छात्रों का हक मारा जा रहा है. छात्र नेता देव पलसानियां का कहना है कि सरकार के इस आदेश के खिलाफ सड़क से विधान सभा तक कूच किया जाएगा. छात्र नेता मनु दाधीच, राहुल महला और महेश चौधरी ने इसका विरोध किया है. कुछ छात्र नेता आज से विवि के गेट पर बैठकर धरना देने की तैयारी में है. 


किसके हित में लिया गया है निर्णय 


राजस्थान विवि में 'यूनिवर्सिटी के चाणक्य' कहे जाने वाले कुश शर्मा का कहना है कि ये छात्रों के हितों पर कुठाराघात है. यहां पर छात्र नेताओं ने बड़ी संख्या में तैयारी की है. उनके साथ धोखा है. सरकार को ऐसा नहीं करना चाहिए. इस फैसले पर फिर से विचार करने की जरूरत है. क्योंकि इससे छात्रों को परेशानी का सामना करना पड़ेगा.समय से चुनाव हो जाए इसी में राहत है. विवि के डीएसडब्ल्यू डॉ नरेश मलिक का कहना है कि विश्वविद्यालय प्रशासन को सरकार के आदेशों की अनुपालना करने पड़ेगी, सरकार जो भी निर्णय लेगी उसे लागू करना होगा.  


सरकार ने दी है यह दलील 


सरकार के आदेश में कहा गया है कि उच्च शिक्षण संस्थानों में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 की क्रियान्विति की स्थिति और विश्वविद्यालयों की विभिन्न परीक्षाओं के परिणाम जारी करने की तैयारी है. चालू सत्र के लिए प्रवेश की स्थिति, बजट घोषणाओं की क्रियान्विति तथा छात्रसंघ चुनाव और लिंगदोह समिति की सिफारिशों की पालना आदि विषयों पर विचार विमर्श करने के लिए 12 अगस्त को एक बैठक हुई. इसमें उच्च शिक्षा विभाग के प्रशासनिक नियंत्रणाधीन राज्य वित्त पोषित विश्वविद्यालयों के कुलपति, राजस्थान राज्य उच्चतर शिक्षा परिषद के पदाधिकारी और उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारी शामिल हुए.इसमें यह बात सामने आई कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के विभिन्न घटकों को लागू करने की दिशा में अभी व्यापक प्रयास किए जा रहे हैं. एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट में छात्रों का पंजीकरण, सेमेस्टर व्यवस्था लागू करने, इंस्टीट्यूशनल डवलपमेंट प्लान नैक द्वारा प्रत्यायन और शिक्षा की गुणवत्ता आदि कार्य प्रगति पर हैं. विश्वविद्यालयों की विभिन्न परीक्षाओं के परिणामों में देरी और नवीन महाविद्यालयों के खोले जाने न्यूनतम 180 दिवस अध्यापन कार्य करवाना चुनौतीपूर्ण है.हाई कोर्ट के  निर्देशानुसार न्यूनतम् 75 प्रतिशत उपस्थिति की अनिवार्य है.इसलिए छात्रसंघ न कराए जाने का निर्णय लिया गया है. 


ये भी पढ़ें


Rajasthan News: कोटा में छात्रों की आत्महत्याओं से चिंतित है प्रशासन, अब रविवार को नहीं हो पाएगा यह काम