Rajasthan News: कुर्सियों के कई किस्से कहानियां हम सुनते आ रहे हैं. नौकरशाही हो या राजशाही, सभी की कुर्सियों के कुछ का कुछ किस्से बनते हैं लेकिन बांसवाड़ा में राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र (Rajasthan Governor Kalraj Mishra) के लिए बनवाई गई एक कुर्सी का भी अनोखा किस्सा बना है, जो काफी चर्चाओं में रह रहा है. राज्यपाल के लिए साढ़े पांच माह पहले एक कुर्सी बनवाई गई थी लेकिन कुछ ऐसा हुआ कि उस कुर्सी को आलमारी में बन्द रखना पड़ा. राज्यपाल अब आए और कुर्सी निकालकर उन्हें बैठाया गया है. आइये जानते हैं कि आखिर अलमारी में क्यों बन्द करनी पड़ी कुर्सी.


क्या है खासियत इस कुर्सी की
इस कुर्सी को बनाने के लिए 33 हजार रुपए की कॉस्ट आई थी जो हूबहू राज भवन में रखी कुर्सी जैसी दिखाई देती है. कुर्सी की ऊंचाई 41 इंच है. इसका पिछला हिस्सा जहां पीठ टिकाते हैं वह 23.5 इंच का है. इसमें पॉइंट 5 इंच मुकुट की तरह घुमाव भी है. 23 इंच का फोम है और कुर्सी के पाए 16 इंच लंबे हैं. दोनों पाए की चौड़ाई 25.5 इंच है. आगे से पीछे तक सीट की लंबाई 25 इंच सीट आगे से 22 इंच चौड़ी, जबकि पीछे से 16.5 इंच की चौड़ाई है. इसे स्पेशल कारीगरों द्वारा तैयार करवाया गया था. 


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क्यों अलमारी में बंद रही कुर्सी
दरअसल राज्यपाल का इसी साल 24 अप्रैल को जनजाति महोत्सव के लिए बांसवाड़ा का दौरा था. इसके लिए राजभवन में रखी कुर्सी की हूबहू डिजाइन करवाकर कुर्सी बनवाई गई थी. अप्रैल में तेज गर्मी के कारण राज्यपाल का दौरा निरस्त हो गया. इसके लिए प्रोटोकॉल के तहत कुर्सी के लिए एक लोहे की अलमारी बनवाई गई और उसमें कुर्सी को रखा गया. राज्यपाल का आजादी के अमृत महोत्सव के तहत जन नायकों के योगदान विषय और बांसवाड़ा में कार्यक्रम हो रहा है. साथ ही गुरु गोविंद जनजाति विश्वविद्यालय के इंजीनियरिंग कॉलेज में वेद पीठ के विस्तारीकरण और वैदिक गुरुकुल परिसर के शिलान्यास के लिए राज्यपाल आए. तब अलमारी की खोल और कुर्सी निकाली गई जिसपे राज्यपाल मिश्र बैठे.


एक नहीं दो बनी थी कुर्सी
बांसवाड़ा स्काउट गाइड सीओ दीपेश शर्मा बताते हैं कि, 21-25 अप्रैल तक के कार्यक्रम के तहत कुर्सी बनवाई गई थी. 33 हजार की कॉस्ट में दो कुर्सियां बन रहीं थीं जिसे बनवा ली गई. एक कुर्सी यूनिवर्सिटी में पहुंचाई गई और दूसरी स्काउट गाइड कार्यालय में रखी. कुर्सी की गरिमा को देखते हुए एक बक्सा बनवाया गया जिसमें कुर्सी को सुरक्षित रखा गया था. अब राज्यपाल आए तो यह बाहर निकाली गई है. दरअसल कोरोना के पहले राज्यपाल का दौरा होता था तो कुर्सी राजभवन से ही आती थी लेकिन कोरोना के बाद आदेश आया कि राजभवन से ना कोई वस्तु बाहर जाएगी ना बाहर से अंदर आएगी. कोरोना के बाद यह पहला कार्यक्रम था. स्टाफ राजभवन गया था तो कुर्सी का फोटो लेकर आया. इसके बाद कुर्सी बनवाई गई. कुर्सी को बनाने वाले कारीगर ने कहा कि एक बनवाओ या दो पैसा इतना ही लगेगा, इसलिए दो बनवाई.


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