पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी में 16 जून को आकाशीय बिजली गिरने से बांसवाड़ा के जवान महेंद्र सिंह राणावत शहीद हो गए. वे अपनी ड्यूटी पर तैनात थे तभी बिजली गिरी और वे शहीद हो गए. बड़ी बात यह रही कि जब उनका पार्थिव शरीर राजस्थान के डूंगरपुर जिले के गुजरात से सटे रतनपुर बॉर्डर पर पहुंचा तो घर तक पहुंचने में 11 घंटे लग गए. शहीद की शौर्ययात्रा में शामिल होने और उनके दर्शन करने के लिए हजारों की संख्या में लोग आए और भारत माता के नारे लगे. महेंद्र सिंह राणावत बांसवाड़ा जिले के रोहनिया के रहने वाले थे. घर पहुंचने के बाद राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया, बीएसएफ में तैनात महेंद्र सिंह राणावत का पार्थिव देह रविवार को उनके पैतृक गांव रोहनिया पहुंचा.
सुबह 8 बजे बॉर्डर पर आया पार्थिवशरीर और शाम 5.30 बजे घर पहुंचा
गुजरात से सटे रतनपुर बॉर्डर पर सुबह 8 बजे शहीद का पार्थिव शरीर पहुंचा. यहां से 130 किमी दूर उनका गांव रोहनिया है, वहां पहुंचते-पहुंचते शाम के 5.30 बज गए. जहां उनकी पत्नी पूनम कुंवर ने देह की परिक्रमा की. इसके बाद शौर्ययात्रा वहां से ढाई किमी दूर अनास नदी के तट पर स्थित मोक्षधाम में पहुंची, जहाँ बीएसएफ जवानों ने सलामी दी. इसके बाद तिरंगे को हटाकर पार्थिव शरीर उनके पिता राजेंद्रसिंह को समर्पित किया. जवान महेंद्र को शाम 7.30 बजे मुखाग्नि उनके बड़े भाई भूपेंद्र सिंह राणावत ने दी.
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पत्नी ने कहा दोनों बेटों को भी देश सेवा में भेजूंगी
महेंद्र सिंह राणावत का पार्थिव शरीर उनके घर पहुंचा तो पत्नी पूनम कुंवर ने परिक्रमा की. उसके बाद अपने आंसुओं को छुपाते हुए कहा कि पति देश सेवा करते हुए शहीद हुए हैं दोनों बेटों को भी देश की सेवा के लिए भेजूंगी. इधर क्षेत्र में बीएसएफ के तैनात जवानों ने महेंद्र सिंह राणावत को नम आंखों से श्रद्धांजलि दी.
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