Dol Mela 2023: डोल मेला आज से शुरू, निकाली जाएगी भव्य शोभायात्रा, देव विमान होते हैं आकर्षण का केन्द्र
Dol Mela: बारां के लोकजीवन का प्रतीक और धार्मिक भावनाओं से ओतप्रोत प्रसिद्ध डोल मेला आज शुरू हो गया है. डोल मेले के दौरान शोभायात्रा भी निकाली जाएगी. इसको देखने के लिए भीड़ का सैलाब उमड़ता है.
Dol Mela In Baran: राजस्थान (Rajasthan) के हड़ौती (Hadoti) संभाग के बारां (Baran) जिले का डोल मेला देशभर में विख्यात है. यहां की लोक कला और संस्कृति को यहां के लोग आज भी संजोए हुए हैं. डोल मेले के दौरान दर्जनों मंदिरों से देव विमान एक जगह आते हैं और यहां से विशाल जुलूस निकाला जाता है, जिसका दृश्य बेहद ही विहंगम होता है. हाड़ौती के प्रमुख मेले में बारां का डोल मेला काफी विख्यात है. कोटा का राष्ट्रीय दशहरा मेला, बूंदी का तीज मेला और बारां का डोल मेला देशभर में विख्यात है. यही नहीं इसकी ख्याती साल दर साल बढ़ रही है.
राजस्थान लोककला और संस्कृति को अपने में सजाए हुए हैं. देश में हर तीन कोस में कहा जाता है कि बोली और कल्चर बदल जाता है. ऐसा ही यहां है. यहां की कला और संस्कृति बिल्कुल भिन्न है. बारां के लोकजीवन का प्रतीक और धार्मिक भावनाओं से ओतप्रोत प्रसिद्ध डोल मेला आज यानी मंगलवार से शुरू हो गया है. इस साल भी डोल मेले के दौरान भाद्रपद शुक्ला जलझूलनी ग्यारस को विशाल शोभयात्रा निकाली जाएगी. स्थानीय लोग बताते हैं कि बारां में स्थित कल्याणराय जी के मंदिर से शोभायात्रा का शुभारंभ पूजा के साथ होता है. वहीं डोल मेले के इतिहास की बात करें तो कोई आजादी से पहले से इसका वर्णन करता है. कोई सैकड़ों सालों से अकबर के समय से इसकी उत्पत्ति बताता है.
क्या है मेले का इतिहास
बता दें बूंदी के महाराव सुरजन हाड़ा ने अकबर को रणथंभौर का किला सौंप दिया था. उस समय वहां से वो दो देव मूर्तियों को लाया गया था, उनमें एक रंगनाथ जी और दूसरी कल्याणराय जी की थी. रंगनाथ जी की मूर्ति को बूंदी में स्थापित किया गया और कल्याणराय जी की मूर्ति को बारां लाया गया था. बूंदी की तत्कालीन रानी ने यहां इनका मंदिर बनवाया और मूर्ति को स्थापित किया. उसके बाद से ही यहां पहले कुछ दिन का मेला शुरू हुआ और आज यह विशाल रूप ले चुका है.
बारां के डोल में देव विमान (डोल) मंदिरों से गाजे-बाजों से निकलने वाली शोभायात्रा का अपना ही महत्व है. इस शोभायात्रा को देखने के लिए भीड़ का सैलाब उमड़ता है और लोग दूर दराज से यहां पहुंचते हैं. इस डोल शोभायात्रा में भगवान के विमान, के साथ भजन-कीर्तन की मंडलियां, झांकियां, अखाड़ेबाजों के करतब और शारीरिक कौशल के अनूठे नजारे देखने को मिलते हैं. इतना ही नहीं बाजारों में सैकडों की संख्या में दुकानें होती हैं.
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