Basant Panchami Special: यूं तो बसंत पंचमी पर्व मां सरस्वती की भक्ति और आराधना के लिए जाना जाता है, लेकिन यह दिन कलयुग अवतारी खाटू श्याम (Khatu Shyam Baba) के भक्तों लिए भी बेहद खास है. बाबा श्याम के भक्तों को पूरे साल इस दिन का बेसब्री से इंतजार रहता है. हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी पर्व मनाया जाता है. आज देश-दुनिया में ज्ञान, कला, स्वर और संगीत की देवी मां सरस्वती की पूजा का पर्व श्रद्धापूर्वक मनाया जा रहा है. सरस्वती पूजा के पावन अवसर पर चारों ओर उत्साह, उमंग और उल्लास छाया है. इस बीच बाबा श्याम के भक्तों में भी रौनक दिखाई दे रही है.


श्याम भक्तों में क्यों खास है बसंत पंचमी?


ब्यावर में स्थित श्री श्याम मंदिर के पुजारी पंडित विकास शास्त्री बताते हैं कि बसंत पंचमी का जितना महत्व देवी सरस्वती साधकों के लिए है, उतना ही महत्व बाबा श्याम के भक्तों के लिए है. बसंत पंचमी के दिन बाबा श्याम का विशेष रूप से पीत श्रृंगार किया जाता है. इससे पहले उनके अंत:वस्त्र उतारे जाते हैं. यह एक केसरिया रंग का वस्त्र होता है, जो बाबा 365 दिन पहने रहते हैं. साल में सिर्फ एक बार बसंत पंचमी के दिन इसे बदला जाता है. इस वस्त्र का दर्शन भक्तों को नहीं होता है. भक्त सिर्फ बाहर पहनाए गए सुंदर वस्त्र का ही दर्शन करते हैं, जिसे बागा कहा जाता है.


वस्त्र से जुड़ी है भक्तों की अनूठी आस्था


बाबा को पहनाया जाने वाला अंत:वस्त्र सामान्य सा होता है. इसमें किसी तरह की कोई सिलाई या सजावट नहीं होती है. इसके बावजूद इस कपड़े से भक्तों की अनूठी आस्था जुड़ी है. भक्तों के मन में इस वस्त्र का काफी महत्व है. उनके लिए यह वस्त्र किसी वरदान से कम नहीं है. मान्यता है कि इससे संतान, शादी, व्यापार, नौकरी, स्वास्थ्य, सुख, शांति मिलती है. जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं. हर साल बसंत पंचमी के दिन जब बाबा को नया वस्त्र पहनाया जाता है, तब उतारा हुआ पुराना वस्त्र श्याम प्रेमियों को प्रसाद रूप में बांट दिया जाता है. यह करीब डेढ़ से दो मीटर लंबा होता है.


किस्मतवालों को मिलता है यह खास वस्त्र


उदयपुर निवासी श्याम भक्त प्रिया उपाध्याय बताती हैं कि बाबा श्याम की महिमा जितनी निराली है, उतना ही अनुपम उनका श्रृंगार और पोशाक है. हर भक्त के मन में इसे देखने और पाने की ललक रहती है, जिसे बाबा श्याम का केसरिया वस्त्र मिलता है, वो सौभाग्यशाली होता है. बसंत पंचमी पर बाबा श्याम का पीली पोशाक और पीले फूलों से विशेष श्रृंगार किया जाता है. लखदातार का यह मनोहारी दर्शन मन को आनंदित कर देता है.


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