BJP MLA Statement: राजस्थान में आगामी 10 फरवरी को पेश होने वाले राज्य बजट (Rajasthan Budget 2023) से पहले प्रदेश में नए जिलों की मांग को लेकर सियासत गर्मा रही है. राजस्थान विधानसभा में ब्यावर (Beawar) से बीजेपी (BJP) विधायक शंकर सिंह रावत (Shankar Singh Rawat) ने सरकार को खुलेआम चेतावनी दी है. उन्होंने कहा कि यदि बजट में ब्यावर को जिला नहीं बनाया तो वे कोर्ट में जाएंगे. यदि ब्यावर जिला नहीं बना तो प्रदेश में कोई नया जिला नहीं बनने देंगे.


रिपोर्ट में पहले नंबर पर ब्यावर
राजस्थान विधानसभा (Rajasthan Assembly) में राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान बीजेपी विधायक शंकर सिंह ने कहा कि "ब्यावर राजस्थान का तेरहवां बड़ा शहर है और वहां की जनसंख्या का आंकड़ा भी बहुत ज्यादा है. मेरे पास पूर्व सरकार के कार्यकाल में गठित परमेश चंद की रिपोर्ट है, जिसमें ब्यावर का नाम पहले नंबर पर है. यदि सरकार ने बजट में नए जिलों की घोषणा की और उसमें ब्यावर का नाम वंचित किया गया तो मुझे कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ेगा और पहली रिपोर्ट के आधार पर स्टे लेना पड़ेगा. इसलिए जिलों की घोषणा में ब्यावर जिले का नाम जरूर आना चाहिए."


चुनावी साल में घोषणा की उम्मीद
राजस्थान में इस साल विधानसभा चुनाव (Assembly Election) होने हैं. ऐसे में जनता और जनप्रतिनिधियों को उम्मीद है कि आने वाले बजट में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) नए जिलों की घोषणा करेंगे. ऐसा इसलिए माना जा रहा है कि क्योंकि सरकार ने नए जिलों का गठन करने के लिए रिटायर्ड आईएएस रामलुभाया की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया था. प्रदेश के 24 जिलों से 60 शहर जिले की कतार में हैं. कमेटी ने इन शहरों का सर्वे करने के बाद रिपोर्ट तैयार कर सरकार को सौंप दी है.


जिले की दौड़ में यह शहर आगे
राजस्थान में यूं तो 60 शहर जिले की दावेदारी कर रहे हैं मगर इनमें चंद शहर ही ऐसे हैं जो जिले की दौड़ में सबसे आगे माने जा रहे हैं और जो जिला बनने की योग्यता रखते हैं. इनमें अजमेर जिले से ब्यावर का नाम पहले पायदान पर है. माना जा रहा है कि यदि नए जिलों की घोषणा होती है तो ब्यावर पहले नंबर पर होगा. ब्यावर राजस्थान का तेरहवां बड़ा शहर है. दूसरे नंबर पर बाड़मेर जिले से बालोतरा की लॉटरी लग सकती है. बालोतरा विधायक मदन प्रजापत (Madan Prajapat) ने जिला नहीं बनने तक नंगे पैर रहने की घोषणा कर रखी है. पिछले बजट सत्र में बालोतरा को जिला घोषित नहीं करने पर एमएलए ने विधानसभा परिसर में ही जूते त्याग दिए थे. ब्यावर और बालोतरा के अलावा सीकर से नीमकाथाना, जोधपुर से फलौदी, नागौर से डीडवाना, जयपुर से कोटपूतली को जिला बनाने की मांग लंबे समय से हो रही है. अगर नए जिलों की घोषणा होगी तो इन शहरों को सरकार की सौगात मिल सकती है.


पहले भी हुआ कमेटी का गठन
नए जिलों के लिए सरकार ने कई बार कमेटी का गठन किया. मौजूदा गहलोत सरकार से पहले बीजेपी शासन में वसुंधरा राजे (Vasundhara Raje) सरकार ने वर्ष 2014 में रिटायर्ड IAS परमेश चंद की अध्यक्षता में कमेटी बनाई गई थी. उस कमेटी ने वर्ष 2018 में सरकार को रिपोर्ट सौंपी थी, लेकिन सरकार ने उस रिपोर्ट पर ध्यान नहीं दिया. आज तक वो रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की गई. इसके बाद सत्ता परिवर्तन हो गया और सूबे में अशोक गहलोत सरकार काबिज हो गई. नई सरकार ने पुरानी कमेटी की रिपोर्ट मानने से मना कर दिया. सीएम गहलोत ने रिटायर्ड आईएएस रामलुभाया की अध्यक्षता में फिर नई कमेटी बनाई और सर्वे करवाया.


प्रतापगढ़ बना था 33वां जिला
भौगोलिक दृष्टि से देश के सबसे बड़े राज्य राजस्थान में इस वक्त 33 जिले हैं. 33वां जिला प्रतागढ़ 15 साल पहले वर्ष 2008 में बना था. तब वसुंधरा राजे सरकार ने इस जिले की घोषणा की थी. इसके बाद मांग तो लगातार बढ़ती गई मगर किसी नए जिले की घोषणा नहीं हुई. वर्ष 1981 तक राजस्थान में 26 ही जिले थे, जो बढ़कर 33 हो गए हैं. आने वाले वर्षों में यह संख्या 40 तक पहुंच सकती है.


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